मोबाइल की दुनिया में डिजिटल क्रांति का आगाज

विज्ञान और तकनीक का जादू मोबाइल में नित नए सुविधाओं और खूबियों को पिरोता है जिससे मोबाइल का बाजार देश और दुनिया में सबसे ज्यादा करवटें ले रहा है। पिछले पांच साल में अगर आप तुलना करे तो 20 से 30 हजार रेंज वाली मोबाइल की तकरबीन हर खूबियां और फीचर्स 10 हजार से नीचे के मोबाइल में समा गई है। मोबाइल के बाजार में इन दिनों सबसे ज्यादा क्रेज स्मार्टफोन का है। आम फोन के मुकाबले बाजार में स्मार्ट फोन का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। कंपटीशन का आलम यह है कि पिछले एक हफ्ते में कुछ कंपनियों ने 2 हजार की कीमत में स्मार्टफोन लॉन्च किया है। एक वक्त में स्मार्टफोन दूर की कौड़ी नजर आती थी क्योंकि उसकी कीमत 10 हजार से ज्यादा थी। लेकिन अब यह कीमत 10 हजार से नीचे गिरकर 5 हजार, 6 हजार और सात हजार तक के रेंज में सिमटती नजर आ रही है। बाजार के जानकार एंड्रायड वन को डिजिटल क्रांति करार दे रहे हैं।

चंद दिन पहले बाजार की करवटों के बीच उपभोक्ताओं में एंड्रायड वन की उम्मीदों ने उछाल भरी। उपभोक्ताओं के लिए अनूठा और बेहतर विकल्प आने का संकेत बाजार में गया जो उपभोक्ताओं के लिए खुशी का सबब था। एंड्रायड वन का सीधा नाता गूगल से है जिसे गूगल का सपोर्ट हासिल है, जिस तकनीक का ताना-बाना गूगल ने बुना है। यानी जिसे गूगल ने अपने तकनीकी पैरामीटर के आधार पर बनाया है। भारत पहला देश है जहां कंपनी ने एंड्रायड वन फोन को लांच किया है। अब इस तकनीक से स्मार्टफोन के बाजार को एक नई उम्मीद जगी है। चिप बनाने वाली कंपनी मीडिया टेक ने एंड्रायड वन स्मार्टफोन को मिली शुरुआती सफलता के मद्देनजर इस साल भारत में ऐसे 20 लाख हैंडसेट बिकने का अनुमान लगाया है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां सबसे ज्यादा मोबाइल फोन की बिक्री होती है। अगर ऐसा हुआ तो फिर दूसरे स्मार्टफोन कंपनियों के लिए यह खतरे की घंटी साबित हो सकती है और उसके बाद छिड़नेवाले प्राइस वार में उपभोक्ताओं को जबरदस्त फायदा हो सकता है। कंपनी के मुताबिक  भारत में इस साल 15 लाख से 20 लाख एंड्रायड वन हैंडसेट बिकेंगे।

एंड्रायड वन प्रोग्राम के तहत कम बजट वाले स्मार्टफोन बनाकर गूगल की योजना बड़ी संख्या में स्मार्टफोन यूजर्स तक इसकी पैठ बनाना है। जिस प्राइस सेगमेंट में यह फोन लॉन्च किया गया है उससे इसकी सीधी चुनौती नोकिया और मोजिला फायरफॉक्स को है। बाजार में मोबाइल  जानकारों का यह भी मानना है कि एंड्रायड वन के जरिए गूगल शायद सैमसंग, सोनी व एलजी से एंड्रायड इकोसिस्टम हथियाना चाहता है। गूगल के बारे में यह सभी को मालूम है कि बाजार को समझने में वह माहिर है और तकनीक के मामले में उसका कोई सानी नहीं है। इसकी मिसाल उस वक्त देखने को मिला जब गूगल ने मोटो-जी, मोटो-ई, मोटो-एक्स मोबाइल लॉन्च कर तहलका मचा दिया था। एंड्रायड वन वाले हैंडसेट पिछले हफ्ते पेश किए गए जिसकी कीमत 6,399 रुपये से शुरू है। इस प्रकार के हैंडसेट माइक्रोमैक्स, कार्बन तथा स्पाइस ने पेश किये हैं। भारत पहला देश है जहां अमेरिकी कंपनी की एंड्रायड वन उपकरण पेश किये गये हैं।

एंड्रायड बेस स्‍मार्टफोन में गूगल की सभी सर्विस नहीं काम करतीं लेकिन एंड्रायड वन में ऐसा नहीं होगा। एंड्रायड वन स्‍मार्टफोन्‍स में गूगल की सभी सर्विसेज काम करेंगे साथ ही इसमें पहले से तेज अपग्रेड भी मिलेंगा। इससे उपभोक्ताओं को बड़ा फायदा होगा और उनका हर सॉफ्टवेयर समय पर अपडेट और अपग्रेड होता रहेगा। गूगल एंड्रायड वन में कंपनी अपने हिसाब से कोई भी बदलाव कर सकतीं हैं लेकिन इसमें गूगल की कुछ ऐप पहले से ही मिलेंगी जिसमें से गूगल सर्च एक है। एंड्रायड फोन्‍स का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। इसमें बड़े आइकॉन के साथ आसान इंटरफेज दिया गया है।

एंड्रायड वन फोन में अतिरिक्त कस्टमाइजेशन है लो-एंड के हार्डवेयर को भी यूजर्स के लिए उपयुक्त बनाता है। इसमें  अनावश्यक फीचर्स नहीं होते हैं। यह एंड्रायड का वर्जन गूगल ने बनाया है, लिहाजा उसके सुरक्षित और तेज तर्रार होने में किसी सवाल की गुंजाइश नहीं बचती है। एंड्रायड वन फोन के लिए ड्राइवर सीट पर गूगल खुद बैठा है। यही हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर चुनता है। लिहाजा एंड्रायड वन फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट देने के लिए गूगल उत्तरदायी है, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को होगा। अब देखना यह है कि गूगल की इस नई रणनीति के जरिए क्या स्मार्टफोन के बाजार पर अपनी पैठ बना पाता है?

 
 
 

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