दूध उत्पादन वृद्धि में आंध्र प्रदेश सबसे आगे: एसोचैम

आंध्र प्रदेश में वर्ष 2006 से 2010 पांच वर्षों के दौरान दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। प्रदेश में इस दौरान दूध उत्पादन में जहां 41 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई वहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 36 प्रतिशत बढ़ी है।

हैदराबाद : आंध्र प्रदेश में वर्ष 2006 से 2010 पांच वर्षों के दौरान दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। प्रदेश में इस दौरान दूध उत्पादन में जहां 41 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई वहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 36 प्रतिशत बढ़ी है। उद्योग संगठन एसोचैम ने आज यह जानकारी दी। हालांकि, 11 लाख टन सालाना दूध उत्पादन के साथ कुल उत्पादन के मामले में आंध्र प्रदेश का देश में तीसरा स्थान रहा। भारत में इन पांच साल की अवधि में दूध उत्पादन 19 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ वर्ष 2010-11 में 12.1 करोड़ टन के स्तर को लांघ गया।
एसोचैम द्वारा ‘भारतीय डेयरी उद्योग की विकास संभावना’ पर किये गये अध्ययन में कहा गया है, दुनिया में विशालतम दूध उत्पादक होने के बावजूद भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 252 ग्राम प्रतिदिन है जो कि वैश्विक औसत प्रति व्यक्ति 279 ग्राम प्रतिदिन से कम है। दुनिया के अन्य देशों न्यूजीलैंड में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 9,773 ग्राम, आयरलैंड में 3,260 ग्राम और डेनमार्क में 2,411 ग्राम है। इन तीनों देशों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता सबसे अधिक है। देश में दूध उत्पादन में सर्वाधिक वृद्धि वाले पांच राज्यों में आंध्र प्रदेश के अलावा दूसरे नंबर पर राजस्थान रहा जहां उत्पादन वृद्धि 28 प्रतिशत रही। इसके बाद केरल में 24.8 प्रतिशत, कर्नाटक में 24 प्रतिशत और गुजरात में 23.7 प्रतिशत वृद्धि रही है।
एसोचैम अध्ययन में कहा गया है, दुग्ध उत्पाद उद्योग के सकल प्रदर्शन में सुधार के लिये यह काफी महत्वपूर्ण है कि देश के डेयरी उद्योग अपनी समूची मूल्यवर्धन श्रंखला को सुनियोजित करे और इसमें छोटे डेयरी उत्पादकों को भी शामिल करे। इन छोटे उत्पादकों में कम उत्पादन लागत, निम्न देनदारी और सीमित जोखिम सहित कई तरह की मजबूती निहित है। हालांकि, इसमें कहा गया है, नई जानकारी और तकनीक की कमी, कारोबार के लिये उपयुक्त सेवाओं तक कमजोर पहुंच, कर्ज की तंगी और दूध की गुणवत्ता कमजोर रहने से छोटे डयेरी उत्पादकों की बाजार में उपलब्ध संभावनाओं का लाभ उठाने की क्षमता कम रहती है।
साल-दर-साल चार प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर को देखते हुये वर्ष 2019-2020 तक देश में कुल दूध उत्पादन बढ़कर 17 करोड 70 लाख टन तक पहुंच जाने की उम्मीद है। अध्ययन में कहा गया है कि इस वृद्धि के हिसाब से वर्ष 2016--17 तक देश में 15 करोड़ टन की अनुमानित मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी.एस. रावत ने उद्योग मंडल की इस अध्ययन रिपोर्ट को जारी करते हुये कहा कि औसत भारतीय की आय के स्तर में वृद्धि के साथ साथ उनके खाने पीने की पसंद में भी बदलाव आ रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में दूध और दुग्ध उत्पादों पर होने वाले मासिक प्रति व्यक्ति खपत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
जहां तक देश के कुल दूध उत्पादन में योगदान की बात है। उत्तर प्रदेश 17 प्रतिशत योगदान के साथ सबसे उपर है, इसके बाद राजस्थान 11 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश 9 प्रतिशत, पंजाब 8 प्रतिशत और गुजरात का योगदान 8 प्रतिशत रहा है।

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