अंतरिम बजट 2014 : आयकर स्लैब में बदलाव नहीं, कारें होंगी सस्ती
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अंतरिम बजट 2014 : आयकर स्लैब में बदलाव नहीं, कारें होंगी सस्ती

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि दुनिया के मुकाबले हमारे आर्थिक हालात बेहतर है और हमने मुश्किल हालात में भी विकास दर बनाए रखी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटा 4.6 प्रतिशत के भीतर ही रहेगा। वर्ष 2013-14 के लिए चालू बजट घाटा 45 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।

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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने लोकसभा में शोर-शराबे के बीच सोमवार को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अंतरिम बजट पेश किया। चिदंबरम ने कहा कि तमाम कठिनाइयों के बीच 2013-14 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल हो गया है। उन्होंने साथ ही कहा कि किसानों को ऋण और निवेश का लक्ष्य भी हासिल हुआ। साथ ही चालू खाता घाटा और खाद्य महंगाई को भी कम करने में कुछ सफलता मिली।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा की। उत्पाद शुल्क को घटाकर 12 से 10 फीसदी करने का चिदंबरम ऐलान किया, जबकि बड़ी गाड़ियों पर इसे 30 से घटाकर 24 फीसदी कर दिया गया। मोटरसाइकिलों पर उत्पाद शुल्क को 10 से घटाकर आठ फीसदी किया गया, वहीं छोटी गाड़ियों पर इसे 12 से आठ फीसदी किया गया। निर्माण क्षेत्र में एक्साइज़ पर दो फीसदी की कटौती का ऐलान किया गया। फ्रिज, टीवी और देश में बने मोबाइल सस्ते होंगे। उन्होंने आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया और कहा कि डाइरेक्ट टैक्स कोड पर जनता के सुझाव लिए जाने की जरूरत है।
पूर्व सैन्यकमियों को बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की मांग सैद्धांतिक रूप से मान ली है। रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 10 प्रतिशत बढ़ाकर 2,24,000 करोड़ रुपए किया गया है जबकि पिछले बजट में यह राशि 2,03,672 करोड़ रुपए थी।
गैर-योजनागत व्यय 12,07,892 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें से खाद्य, उर्वरक तथा ईंधन सब्सिडी पर खर्च 2,46,397 करोड़ रुपए होगा जो 2013-14 में 2,45,452 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से थोड़ा अधिक है।
बजट अनुमान देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में निर्धारित लक्ष्य 4.8 प्रतिशत से कम 4.6 प्रतिशत तथा राजस्व घाटा 3.3 प्रतिशत रहेगा। इस लिहाज से चालू वित्त वर्ष का समापन संतोषजनक रहेगा। वित्त वष 2014-15 के लिए राजकोषीय घाटा 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है जो नए राजकोषीय मजबूती के तहत निर्धारित 4.2 प्रतिशत से कम है। राजस्व घाटा 3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उत्पाद शुल्क राहत को न्यायोचित ठहराते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘मौजूदा आर्थिक स्थिति कुछ हस्तक्षेप की मांग करती है। स्थिति ऐसी नहीं है कि आम बजट तक इसके लिए इंतजार किया जा सके। विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्र को तत्काल गति देने की जरूरत है।’
मोबाइल हैंडसेट के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्री ने सभी श्रेणी के मोबाइल हैंडसेट पर उत्पाद शुल्क पुनर्गठित कर सेनवेट क्रेडिट के साथ 6 प्रतिशत तथा बिना सेनवेट क्रेडिट के एक प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया। देश में साबून तथा रंगीन रसायनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के इरादे से गैर खाद्य स्तर के औद्योगिक तेल तथा उसके अंश, फैटी एसिड तथा फैटी अल्कोहल के मामले में सीमा शुल्क ढांचे को तर्कसंगत कर 7.5 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है।
इसी प्रकार, करेंसी नोट की प्रिंटिंग के लिए देश में प्रतिभूति पत्रों के उत्पादन को बढ़ावा देने के इरादे से बैंक नोट पेपर मिल इंडिया प्राइवेट लि. द्वारा आयातित पूंजीगत सामान पर रियायती 5 प्रतिशत सीमा शुल्क का प्रस्ताव किया गया है। चिदंबरम ने उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनयम की अनुसूची के अध्याय 84 और 85 के अंतर्गत आने वाली पूंजीगत तथा उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।
वित्त मंत्री ने आटोमोबाइल उद्योग को भी 30 जून तक उत्पाद शुल्क में कुछ राहत दी है। छोटी कारों, मोटर साइकिल, स्कूटर और वाणिज्यिक वाहनों पर उत्पाद शुल्क 12 से घटाकर 8 प्रतिशत, एसयूवी पर 30 से घटाकर 24 प्रतिशत कर दिया गया है।
बड़ी अथवा मध्यम श्रेणी की कारों पर 27--24 के बजाय अब 24--20 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। आने वाले वित्त वर्ष के लिए योजनागत व्यय 5,55,322 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है जो चालू वित्त वर्ष के बराबर है जबकि गैर-योजनागत व्यय 12,07892 करोड़ रुपए रहने का अनुमान रखा गया है जो 2013-14 के मुकाबले मामूली रूप से अधिक है।
भविष्य के लिए 10 सूत्री दृष्टिकोण रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को 2016-17 तक राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य हासिल करना होगा तथा उसे हमेशा उस स्तर से नीचे रखना होगा। चालू खाते के घाटे (कैड) पर उन्होंने कहा कि अगले कुछ और साल कैड रहेगा और इसका वित्त पोषण केवल विदेशी निवेश---एफडीआई, एफआईआई या ईसीबी या अन्य पूंजी प्रवाह से ही किया जा सकता है। इसलिए विदेशी पूंजी आकर्षित करने की नीति से हटने की फिलहाल गुंजाइश नहीं है।
अपने दृष्टिकोण के तहत चिदंबरम ने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से यह स्वीकार करना चाहिए कि उच्च आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य होने पर मुद्रास्फीति कम रहनी चाहिए। उन्होंने अपने विजन फार्मूला में कहा, ‘रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति तैयार करते समय कीमत स्थिरता तथा वृद्धि के बीच संतुलन साधना होगा।’ इसमें वित्तीय क्षेत्र में सुधार, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, सब्सिडी, शहरीकरण, कौशल विकास तथा राज्यों तथा केंद्र के बीच जिम्मेदारी साझा करना शामिल हैं।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू नहीं कर पाने पर निराशा जताते हुए वित्त मंत्री ने कहा ‘मैं इस सवाल का जवाब आप पर छोड़ता हूं कि जब इस महत्वपूर्ण कर सुधार पर आम सहमति काफी कुछ बन गई थी तो जीएसटी का रास्ता किसने रोका?’ उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष करों के मामले में प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अगले 20 वर्ष तक काम करता रहेगा, यह तैयार है और इसे सार्वजनिक चर्चा के लिए वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। ‘मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वह 2014-15 में जीएसटी और डीटीसी को पारित कराने का संकल्प लें।’
आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 2011-12 में नरमी शुरू हुई और नौ तिमाहियों के दौरान जहां यह 2011-12 की पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत थी वहीं 2013-14 की पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत पर आ गई। उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों से उन्हें विश्वास है कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट थमेगी और दूसरी तिमाही में वृद्धि चक्र बदलेगा।
चिदंबरम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि मैं दोषमुक्त हुआ हूं। वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही है जबकि पूरे साल के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 4.9 प्रतिशत अनुमानित है। इसका मतलब यह हुआ कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 5.2 प्रतिशत रही है।’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था दो साल पहले के मुकाबले आज ज्यादा स्थिर है। राजकोषीय घाटे में कमी आई है, चालू खाते के घाटे को नियंत्रित किया गया है, मुद्रास्फीति भी नीचे आई है और तिमाही वृद्धि में सुधार आ रहा है। रुपए की विनिमय दर में भी स्थिरता आई है, निर्यात बढ़ा है और सैकड़ों परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है।
वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान निर्यात 6.3 प्रतिशत वृद्धि के साथ 326 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। चालू खाते का घाटा जो कि पिछले साल 88 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया था उसे इस साल 45 अरब डॉलर पर नियंत्रित कर लिया जाएगा। यह वित्त वर्ष के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार से 15 अरब डॉलर अधिक होगा।
पिछले साल थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 7.3 प्रतिशत रही जबकि विनिर्माण क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर 4.2 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष में जनवरी 2014 के अंत तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर कम होकर 5.05 तथा विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई दर 3 प्रतिशत रही।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमारा प्रयास व्यर्थ नहीं गया है, लेकिन अभी लंबी दूरी तय करना बाकी है। खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी मुख्य चिंता का कारण है। हालांकि यह 13.6 प्रतिशत से घटकर 6.2 प्रतिशत पर आ गई है। अर्थव्यवस्था में नीतिगत निष्क्रियता के तर्क को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में सरकार ने कई दूरगामी फैसले किए हैं। चीनी को नियंत्रणमुक्त किया गया। डीजल मूल्यों में धीरे-धीरे सुधार लाया गया। रेलवे किराए को तर्कसंगत बनाया और नए बैंक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके अलावा बिजली वितरण कंपनियों का पुनर्गठन किया गया।
निवेश पर मंत्रिमंडल की समिति (सीसीआई) तथा परियोजना निगरानी समूह का गठन किया गया। इनके द्वारा किए गए निर्णयों के कारण जनवरी 2014 के अंत तक 6,60,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 296 परियोजनाओं का रास्ता साफ हुआ। प्रदर्शन के मामले में चिदंबरम ने विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र वृद्धि का उदाहरण दिया। देश में अब 26.3 करोड़ टन खाद्यान का अनुमान है जो 10 साल पहले 21.3 करोड़ टन था।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में प्रदर्शन शानदार रहा। 2013-14 में इसके 26.3 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। गन्ना, कपास, दलहन, तिलहन का रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद है। चिदंबरम ने कहा कि कृषि निर्यात चालू वित्त वर्ष में 45 अरब डॉलर को पार कर सकता है जो 2012-13 में 41 अरब डॉलर था। कृषि ऋण 7,35,000 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है जो 7,00,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य से अधिक है। 2014-15 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य 8,00,000 करोड़ रुपए तय किया गया है।
कृषि ऋण पर ब्याज छूट योजना अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। फिलहाल कृषि ऋण पर ब्याज दर 7 प्रतिशत जबकि जो किसान समय पर ऋण लौटाते हैं, उनके लिए ब्याज दर और कम 4 प्रतिशत रखी गई है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि 31 मार्च 2009 तक लिए गए शिक्षा ऋण की ब्याज वसूली को स्थगित रखने का प्रस्ताव किया है। इससे ब्याज बोझ में कमी से 9 लाख छात्रों को फायदा होगा। इसके लिए 2,600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
चिदंबरम ने यह भी कहा कि महिलाओं की सुरक्षा तथा सशक्तिकरण के लिए गठित निर्भया कोष में पिछले साल दिए गए 1000 करोड़ रुपए के कोष इतनी ही राशि सरकार और देगी। (एजेंसी)
अंतरिम बजट 2013- 2014 के मुख्य अंश
-2014-15 में योजनागत व्यय 5 लाख, 55 हजार 322 करोड़ रुपये, गैर-योजनागत व्यय 12 लाख, 7 हजार, 892 करोड़ रुपये
- 2014-15 में वित्तीय घाटा का लक्ष्य 4.1 फीसदी
- आर्थिक तेजी के लिए शुल्कों में कटौती
- उत्पाद शुल्क घटाकर छोटे कारों/दुपहिया वाहनों पर 8 फीसदी, स्पोर्ट्स युटिलिटी वेहिकल पर 24 फीसदी और बड़ी कारों पर 20 फीसदी किया गया
- रक्त बैंकों को सेवा कर से छूट
- वैज्ञानिक शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए शोध फंडिंग संस्थानों के निर्माण की योजना
- ईंधन सब्सिडी 65 हजार करोड़ रुपये
- भारतीय अर्थव्यवस्था का 11वां स्थान, तीसरे पर पहुंचने का लक्ष्य
- वित्तीय घाटा तीन फीसदी
- (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) पीपीपी मॉडल को और बढ़ावा
- विनिर्माण क्षेत्र को निर्यात में सभी करों से छूट
- रक्षा खर्च 10 फीसदी वृद्धि के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ रुपये
- 2014-15 में रेलवे को 29 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता
- एक पद एक पेंशन की मांग स्वीकृत, 2014-15 में 500 करोड़ रुपये के साथ कार्यान्वयन
- वित्त वर्ष 2014-15 में 3,38,562 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता
- 50,000 मेगावाट क्षमता के पारंपरिक बिजली उत्पादन संयंत्र निर्माणाधीन
- वित्त वर्ष 2014-15 में 500 मेगावाट क्षमता प्रत्येक वाले चार सौर बिजली उत्पादन संयंत्रों का होगा निर्माण
- 100 करोड़ रुपये के साथ सामुदायिक रेडियो को मिलेगा बढ़ावा
- वित्त वर्ष 2013-14 में अनुमानित विकास दर 4.9 फीसदी
- नीतिगत अवरोध नहीं
- एक दशक में 10 करोड़ नौकरियों का सृजन होगा
- 19 तेल ब्लॉक आवंटित
- सात नए हवाईअड्डे निर्माणाधीन
- थोक महंगाई दर 5.05 फीसदी
- प्रमुख क्षेत्रों की महंगाई दर तीन फीसदी
- 2013-14 में खाद्यान्न उत्पादन अनुमानित 26.3 करोड़ टन
- मौजूदा कारोबारी साल में निर्यात अनुमानित 326 अरब डॉलर
- मौजूदा कारोबारी साल में 29,000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन बढ़ा
- हमारे सामने मौजूद समस्या आज उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आम समस्या है
- वैश्विक अर्थव्यवस्था से भारत अप्रभावित नहीं रह सकता
- वित्तीय घाटा 4.6 फीसदी
- चालू खाता घाटा 45 अरब डॉलर
- विदेशी पूंजी भंडार में 15 अरब डॉलर वृद्धि की उम्मीद। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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