कोयला घोटाला: 'अवैध' घोषित खदानों के आबंटन रद्द करने के पक्ष में केंद्र सरकार

केंद्र सरकार उन कोयला प्रखंडों के आबंटन रद्द करने के पक्ष में है जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने अवैध घोषित किया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुल मिला कर, कोयला प्रखंडों के आबंटनों का निरस्तीकरण ही इसकी स्वाभाविक परिणति है।

कोयला घोटाला: 'अवैध' घोषित खदानों के आबंटन रद्द करने के पक्ष में केंद्र सरकार

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार उन कोयला प्रखंडों के आबंटन रद्द करने के पक्ष में है जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने अवैध घोषित किया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुल मिला कर, कोयला प्रखंडों के आबंटनों का निरस्तीकरण ही इसकी स्वाभाविक परिणति है।

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से यह भी कहा कि उन 46 कोयला प्रखंडों के संबंध में विचार किया जाना चाहिये, जिनका परिचालन हो रहा है या जल्दी शुरू होने वाला है। वहीं, कोयला ब्लाकों की आबंटी कंपनियों ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें सुने बगैर आबंटन रद्द नहीं किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में आज 218 कोयला ब्लॉक आंवटनों के भविष्‍य पर फैसला होना है। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों अपने फैसले में कहा था कि नीलामी व्यवस्था से पहले 1993 से 2010 के बीच राजग और संप्रग सरकारों द्वारा किए गए कोयला ब्लाकों के सभी आबंटन गैरकानूनी तरीके से 'तदर्थ और लापरवाही' के साथ तथा बगैर 'दिमाग लगाए' किए गए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस फैसले के आलोक में ऐसे सभी कोयला खदानों का अंजाम क्या हो यह इस बारे में आगे और सुनवाई करने के बाद ही सोचा जाएगा।

इससे पहले, केंद्र सरकार ने सोमवार को 218 कोयला खदानों के आबंटन के मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में इन खदानों के आबंटन को गैरकानूनी घोषित किया था। सरकार ने इसके साथ ही न्यायालय से कहा कि चालू वर्ष में पांच करोड़ टन कोयले का उत्पादन करने के लिये करीब 40 खदानों में उत्पादन हो रहा है और छह अन्य खदानें भी इसके लिये तैयार हैं। कोयला मंत्रालय ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के एक मई के इन बयानों को भी शामिल किया है कि न्यायालय द्वारा गैरकानूनी घोषित किये गये आबंटनों को रद्द किये जाने पर सरकार को ‘आपत्ति नहीं’ है और वह नीलामी के लिये विशेष प्रकार को कोई तरीका अपनाने पर भी जोर नहीं दे रही है।

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