नई दिल्ली : प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में आ सकता है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि हम डीटीसी को संसद के अगले सत्र में लाने का प्रयास कर रहे हैं। यह दशकों पुराने आयकर कानून का स्थान लेगा। संसद का शीतकालीन सत्र पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद दिसंबर के शुरू में बुलाया जा सकता है।
डीटीसी विधेयक के अंतिम मसौदे में आयकर छूट की सीमा को 2 लाख रपये पर अपरिवर्तित रखा गया है। इसमें चौथा स्लैब लागू करने का प्रस्ताव है। इसके तहत 10 करोड़ रपये से अधिक की सालाना आमदनी पर 35 फीसदी की दर से कर लगाने का प्रस्ताव है। विधेयक के अंतिम मसौदे की मंत्रिमंडल जांच करेगा।
अन्य बातों के अलावा इस विधेयक में एक करोड़ रपये से अधिक की लाभांश आय पर 10 फीसद की दर से कर लगाने का प्रस्ताव है। सूत्रों ने कहा कि न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) कंपनी की सकल परिसंपत्ति की बजाय खाता-लाभ पर लगाने का प्रावधान होगा। इसके अलावा प्रतिभूति लेनदेन कर (एसएसटी) कायम रखा जा सकता है। हालांकि वित्त पर स्थायी समिति ने इसे समाप्त करने की सिफारिश की है।
फिलहाल 2-5 लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है। 5 से 10 लाख रपये की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है। वहीं एक करोड़ रपये से अधिक सालाना कमाने वालों को 10 प्रतिशत का अधिभार देना पड़ता है। (एजेंसी)
डीटीसी विधेयक
संसद के शीतकालीन सत्र में आ सकता है DTC बिल: चिदंबरम
प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में आ सकता है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि हम डीटीसी को संसद के अगले सत्र में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
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