'उंचे दामों की वजह से घट रही है चावल की खपत'
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'उंचे दामों की वजह से घट रही है चावल की खपत'

खुले बाजार में चावल की बढ़ती कीमत के कारण लोग इसी खपत कम कर हैं और उन्हें नियंत्रित कीमत पर इसकी खरीद के लिए राशन की दुकानों पर निर्भर करना पड़ रहा है। यह बात सरकार के सर्वेक्षण में कही गई।

'उंचे दामों की वजह से घट रही है चावल की खपत'

नई दिल्ली : खुले बाजार में चावल की बढ़ती कीमत के कारण लोग इसी खपत कम कर हैं और उन्हें नियंत्रित कीमत पर इसकी खरीद के लिए राशन की दुकानों पर निर्भर करना पड़ रहा है। यह बात सरकार के सर्वेक्षण में कही गई।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के देश में वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर 68वें दौर के सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीय परिवारों ने 2011-12 में कम चावल खाया लेकिन गांवों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिये चावल की खरीद दोगुनी हो गई है और शहरों में इसमें 66% का इजाफा हुआ।

सर्वेक्षण में कहा गया कि गांवों में 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति प्रति माह चावल की खपत 5.98 किलोग्राम रही, जो 2004-05 में यह 6.38 किलो थी। वहीं शहरों में चावल की खपत प्रति व्यक्ति प्रति माह 2011-12 में घटकर 4.49 किलो रह गई जो 2004-05 में 4.71 किलो थी।

हालांकि इस अध्ययन के मुताबिक गांवों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल की प्रति व्यक्ति खपत बढ़कर दोगुनी हो गई जो शहरों में 2004-05 के मुकाबले 66 प्रतिशत बढ़ी है जिसका अर्थ है राशन की दुकान के चावल की खपत उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है जिसका प्रबंधन सब्सिडीशुदा खाद्य और गैर-खाद्य उत्पाद विशेष तौर पर गरीबों को मुहैया कराने के लिए संयुक्त रूप से केंद्र और राज्य दोनों करते हैं।

केंद्र सरकार चावल को गरीबी रेखा के उपर के परिवारों के लिए 8.30 रुपये प्रति किलो, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए 5.65 रुपये प्रति किलो और अंत्योदय अन्न योजना के तहत 3 रुपये प्रति किलो की दर पर राज्यों को चावल मुहैया कराती है। सभी परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हर माह 35 किलो चावल और गेहूं मुहैया कराया जाता है। NSSO का सर्वेक्षण 2011-12 के दौरान 7,469 गांवों और 5,268 शहरी ब्लाकों में 1,01,651 परिवारों से संगृहीत सूचना पर आधारित है।

  

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