जेटली ने 4.1 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को रखा बरकरार

राजकोषीय पुनर्गठन का खाका पेश करते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को 2014-15 में 4.1 प्रतिशत और 2016-17 तक इसे घटाकर तीन प्रतिशत पर लाया जाएगा।

नई दिल्ली : राजकोषीय पुनर्गठन का खाका पेश करते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को 2014-15 में 4.1 प्रतिशत और 2016-17 तक इसे घटाकर तीन प्रतिशत पर लाया जाएगा।

वित्त मंत्री ने अपना पहला बजट पेश करते हुए कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात बड़ी चुनौती हैं और इसलिए राजकोषीय समझदारी बरतने की जरूरत है जिससे राजकोषीय पुनर्गठन और अनुशासन की स्थिति आएगी। उन्होंने कहा कि मेरे पूर्ववर्ती (पी चिदंबरम) ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य बेहद चुनौतीपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि यह मुश्किल दिखता है लेकिन मैंने इस लक्ष्य को चुनौती के तौर पर स्वीकार करने का फैसला किया है। राजकोषीय पुनर्गठन का खाका पेश करते हुए जेटली ने कहा कि राजकोषीय घाटे को 2015-16 तक घटाकर 3.6 प्रतिशत और 2016-17 तक 3 प्रतिशत पर लाया जाएगा। राजकोषीय घाटा 2011-12 में 5.7 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था जिसे 2012-13 में घटाकर 4.8 प्रतिशत और 2013-14 में 4.5 प्रतिशत पर लाया गया।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने राजकोषीय घाटे में कमी राजस्व संग्रह बढ़ाने के बजाय व्यय में कटौती कर की। जेटली ने कहा कि राजकोषीय घाटे में कमी चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि देश की वृद्धि दर दो साल तक बेहद कम रही है, औद्योगिक वृद्धि लगभग स्थिर रही है, अप्रत्यक्ष कर में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, सब्सिडी का बोझ बहुत अधिक है और कर संग्रह में बहुत बढ़ोतरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मेरे पास जो काम है वह बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हमें वृद्धि बढ़ाने विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में वृद्धि को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। चुनाव करना होगा कि सिर्फ लोकलुभाव योजनाओं या बेकार के खर्च के फेर में पड़ा जाए या नहीं।

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