टैक्स चोरों के लिए कोई माफी योजना नहीं, GAAR पर फिर से होगा विचार
Advertisement

टैक्स चोरों के लिए कोई माफी योजना नहीं, GAAR पर फिर से होगा विचार

सरकार ने कालेधन को निकालने के लिए किसी तरह की कोई क्षमादान योजना लाने की संभावना से इनकार करते हुए आज कहा कि इस तरह के कदम ईमानदार करदाताओं के खिलाफ होते हैं। हालांकि, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने निवेशकों को सकारात्मक संकेत देते हुए कहा कि विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) पर जल्द ही फिर से गौर किया जाएगा।

टैक्स चोरों के लिए कोई माफी योजना नहीं, GAAR पर फिर से होगा विचार

नई दिल्ली : सरकार ने कालेधन को निकालने के लिए किसी तरह की कोई क्षमादान योजना लाने की संभावना से इनकार करते हुए आज कहा कि इस तरह के कदम ईमानदार करदाताओं के खिलाफ होते हैं। हालांकि, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने निवेशकों को सकारात्मक संकेत देते हुए कहा कि विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) पर जल्द ही फिर से गौर किया जाएगा।

गार का उद्येश्य कंपनियों को कर से बचने के तरीके निकालने से रोकने के लिए है। इसके कुछ प्रस्तावों पर निवेशकों को आशंकाएं हैं। जेटली ने पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़ीशा और पंजाब की उन्हें विशेष पैकेज दिये जाने की मांग का उल्लेख किया और कहा कि सरकार कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों की विशिष्ट मांगों पर वित्त आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद ही कोई फैसला करेगी। यह रिपोर्ट इस साल के अंत तक मिलने की उम्मीद है।

वित्त मंत्री आज राज्य सभा में वित्त विधेयक 2014-15 पर हुई चर्चा का समापन कर रहे थे। चर्चा पर उनके उत्तर के बाद सदन ने वित्त विधेयक को लोकसभा को लौटा दिया। लोक सभा उसे पहले ही मंजूर कर चुकी है। इसके साथ ही संसद में वित्त वर्ष 2014-15 का बजट पारित होने की प्रक्रिया आज सम्पन्न हो गयी।

राज्यसभा में सदस्यों द्वारा उठाये गये कुछ विशिष्ट मुद्दों का जवाब देते हुये वित्तराज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कालाधन निकालने के लिये कर चोरों को माफी देने :कर क्षमादान योजना: की सरकार की कोई मंशा नहीं है।

उन्होंने कहा, ऐसा अनुभव रहा है कि जब भी आप ऐसी कोई योजना लेकर आते हैं, यह वास्तविक करदाताओं के साथ भेदभाव बरतने जैसा होता है। आप में जो नियमित कर का भुगतान करते हैं उन्हें इससे नुकसान होता है .. ऐसा करना ईमानदार करदाताओं के खिलाफ जाता है .. ऐसी योजना कर वसूली बढ़ाने में मददगार हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती। बजट में घोषित कर प्रस्तावों के बारे में सीतारमण ने कहा कि राजकोषीय हालात तंग होने के बावजूद बचत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये छोटे और मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत पहुंचाने के प्रयास किये गये हैं।

बाद में विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में जेटली ने कहा, बजट प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही हम इस पर गौर करेंगे कि यह उसी तारीख से या किसी अन्य तिथि से लागू किया जाये, इसमें कुछ संशोधन की आवश्यकता है या नहीं। इस पर विचार करने के बाद ही हम कोई अंतिम फैसला ले सकेंगे। पिछली संप्रग सरकार ने वर्ष 2012-13 के बजट में इसकी घोषणा की थी। गार को लेकर निवेशकों में कुछ आशंकायें हैं।

जेटली ने मानसून को लेकर बढ़ी चिंता को भी खारिज किया। उन्होंने कहा, स्थिति काफी आशावादी है, मानसून जोर पकड़ रहा है .. सूखे जैसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि स्थिति यदि ऐसी बनती है तो सरकार के पास सहायक योजना है, उसे लागू किया जायेगा।

छोड़े गये कर के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा यह काफी अस्पष्ट मामला है इसमें सरकार की ओर से औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये भी कुछ रियायतें दी गई हैं। इसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जहां कर वसूली काफी मुश्किल है।

वित्त राज्य मंत्री सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा, पिछली सरकार ने वित्त मंत्री के लिये ज्यादा गुंजाइश नहीं छोड़ी कि वह दायरे से बाहर निकलकर कुछ कर सकें। इसके परिणामस्वरूप उनके सामने ज्यादा अवसर नहीं थे। सीतारमण ने कहा कि जेटली ने चुनौती को स्वीकार किया और बजट के कई लक्ष्यों को संप्रग सरकार द्वारा रखे गये लक्ष्यों पर ही बरकरार रखा।

आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर छूट सीमा को एक लाख से बढ़ाकर डेढ लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, इससे देश में बचत पर काफी असर पड़ेगा जिसे काफी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, मैं सभी सदस्यों से आग्रह करंगी कि वह दलगत मतभेदों से उपर उठकर विधेयक का समर्थन करें।

 

Trending news