रेटिंग एजेंसियों ने कहा, राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाना मुश्किल

रेटिंग एजेंसियों ने आज कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य पूरा होना कठिन है। इसका कारण राजस्व मोर्चे पर अच्छे परिदृश्य का नहीं होना तथा सब्सिडी में कटौती का अभाव है।

रेटिंग एजेंसियों ने कहा, राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाना मुश्किल

मुंबई : रेटिंग एजेंसियों ने आज कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य पूरा होना कठिन है। इसका कारण राजस्व मोर्चे पर अच्छे परिदृश्य का नहीं होना तथा सब्सिडी में कटौती का अभाव है।

क्रिसिल ने आज एक नोट में कहा, ‘राजकोषीय घाटा प्राप्त करना मुश्किल होगा। सरकार कमजोर वृद्धि वाले साल में राजस्व में अच्छी वृद्धि की उम्मीद कर रही है।’ रेटिंग एजेंसियों के अनुसार जेटली का वित्तीय हिसाब किताब ‘ढुलमुल’ है और राजकोषीय घाटा अधिक रहने की पूरी गुंजाइश है। एजेंसी का अनुमान है कि राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत रह सकता है।

एजेंसियों ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री अप्रत्यक्ष कर तथा कर राजस्व अंत को पाटने के लिये विनिवेश से प्राप्त राशि पर ज्यादा उम्मीद लगा रहे हैं। उन्होंने विनिवेश से चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में 58,400 करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य रखा है लेकिन बजट में सब्सिडी में कटौती को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है।

इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा, ‘बजट में घाटे को कम करने के लिये राजस्व तथा व्यय उपायों पर विस्तृत ब्योरे की कमी है। इससे यह उम्मीद करना कि घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, मुश्किल है।’ घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने भी कहा कि बजट में राजकोषीय मजबूती की बात कही गयी है और राजकोषीय घाटा 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है जो थोड़ा ज्यादा आशावादी है। मौजूदा स्थिति यह बताती है कि राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक रह सकता है।’

क्रिसिल ने कहा कि विनिवेश से अगले नौ महीनों में 58,425 जुटाने का लक्ष्य रखा है जो पिछले तीन साल में संचयी रूप से प्राप्त राशि से अधिक है। एजेंसी ने विनिवेश को गति देने तथा जीएसटी के जल्दी क्रियान्वयन का सुझाव दिया है।

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