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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मंगलवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रख सकता है।
आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन अपने महंगाई विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पहली अप्रैल की समीक्षा में नीतिगत दरों को आठ प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखा था। उन्होंने शुक्रवार को टोक्यो में संवाददाताओं से बातचीत में संकेत दिया था कि "सरकार और आरबीआई दोनों ने कमजोर वृद्धि दर के बावजूद महंगाई को नीचे लाने की जरूरत पर जोर दिया है।"
आरबीआई रेपो दर (जिस पर वाणिज्यिक बैंकों को उधारी देता है) आठ प्रतिशत पर अपरिवर्तित रख सकता है।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि महंगाई नियंत्रण की आरबीआई गवर्नर की प्राथमिकता नई सरकार के वृद्धि समर्थक रुख से टकरा सकती है, जो कि ऋण को आसान बनाने पर जोर दे रही है। ऐसे वातावरण में राजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं।
नए वित्त मंत्री से मुलाकात के बाद राजन ने संवाददाताओं से कहा था कि वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन बनाए रखने को लेकर सरकार और आरबीआई का रुख समान है।
जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि चुनौतियां बिल्कुल स्पष्ट हैं। हमें वृद्धि की रफ्तार बहाल करनी है, महंगाई रोकनी है और राजकोषीय समेकन पर जाहिर तौर पर ध्यान केंद्रित करना है। राजन सितंबर 2013 में पद संभालने के बाद से नीतिगत दरों में तीन बार वृद्धि कर चुके हैं, भले ही आर्थिक विकास दर लगभग एक दशक के अपने न्यूनतम स्तर पर रहा है।
देश की आर्थिक विकास दर लगातार दूसरे वर्ष 2013-14 में पांच प्रतिशत से नीचे 4.7 प्रतिशत पर रही है। राजन ने उपभोक्ता महंगाई दर को वित्त वर्ष के अंत तक आठ प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष तक छह प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
खुदरा महंगाई दर अप्रैल में 8.58 प्रतिशत रही, जो पूरे दो वर्षो के दौरान 10 प्रतिशत के आसपास या इससे ऊपर बनी रही। अप्रैल में खाद्य महंगाई दर 9.66 प्रतिशत रही। (एजेंसी)