RBI का अनुमान, 5.5% की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहेगी। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि विनिर्माण व निवेश में सुधार हो रहा है, ऐसे में अर्थव्यवस्था अधिक तेज रफ्तार से बढ़ेगी।

मुंबई : रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहेगी। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि विनिर्माण व निवेश में सुधार हो रहा है, ऐसे में अर्थव्यवस्था अधिक तेज रफ्तार से बढ़ेगी।

रिजर्व बैंक की 2013-14 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, खनन व विनिर्माण गतिविधियों में सुधार, निवेश में बढ़ोतरी, राजकोषीय मजबूती और सरकार द्वारा लिए जाने वाले उधार में कमी के बीच परिवारों की बचत में बढ़ोतरी से निजी क्षेत्र के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि होगी तथा बाहरी मांग में सुधार तथा वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में स्थिरता आदि कारकों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सब स्थितियों के अनुरूप अर्थव्यवस्था 5.5 से 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। केंद्रीय बैंक ने हालांकि आगाह किया कि यदि वैश्विक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ती, भूराजनीतिक विवाद गहराता या शेष सीजन में मानसून कमजोर रहता है, तो वृद्धि के नीचे जाने का जोखिम रहेगा। आर्थिक समीक्षा 2013-14 में 2014-15 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.4 से 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

देश भर में 13 अगस्त तक मौजूदा मानसून सीजन में दीर्घावधि के औसत के हिसाब बारिश की कमी 18 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 12 प्रतिशत अधिक रही थी। हालांकि जुलाई मध्य से मानसून की स्थिति सुधरी है। उस समय बारिश की कमी 43 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि शेष मानसून सत्र में बारिश सामान्य भी रहती है, तो भी इसमें कुछ कमी रहेगी।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति को लेकर उसके परिदृश्य में कोई बदलाव नहीं हुआ है। साल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को जनवरी, 2015 तक 8 फीसदी पर लाने का लक्ष्य तय किया था।

अप्रैल मई में 8 प्रतिशत से उपर रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति जून में घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है। सकारात्मक आधार प्रभाव की वजह से मुद्रास्फीति नीचे आई है। हालांकि जुलाई में यह फिर बढ़कर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई।

रिजर्व बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति में हाल में जो बढ़ोतरी हुई है वह सब्जियों की कीमतों की वजह से है और यह अस्थायी हो सकती है। वित्त वर्ष के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 30 जून, 2014 तक 12 प्रतिशत बढ़कर 316.14 अरब डालर पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 282.45 अरब डॉलर था।

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