सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुनवाई आज
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सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुनवाई आज

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगी। इस याचिका में रॉय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने वाले चार मार्च के आदेश को चुनौती दी है और इसे अवैध कहा है। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगी, क्योंकि पीठ को अन्य सुनवाई करनी है।

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नई दिल्ली : सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगी। इस याचिका में रॉय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने वाले चार मार्च के आदेश को चुनौती दी है और इसे अवैध कहा है। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगी, क्योंकि पीठ को अन्य सुनवाई करनी है।
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने सुनवाई शुरू होने पर अदालत से कहा कि ए.आर. अंतुले मामले के फैसले के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय अपनी खामी को ठीक कर सकता है। जेठमलानी ने कहा कि दोनों न्यायाधीशों से यह कहा जाना शर्मिदगी भरा लग रहा है कि उनके आदेश सही नहीं थे। जेठमलानी ने कहा, "मेरे लिए यह काफी शर्मिदगी भरा है। अगर आप मुझे सुनना चाहते हैं, तो मुझे कोई कठिनाई नहीं होगी।" न्यायमूर्ति खेहर ने कहा, "हम आपके तर्क से शर्मिदा हुए या नहीं यह हम देखना चाहते हैं। आपने जो तैयार किया है, वह आप जानें।" अदालत ने सुनवाई के लिए गुरुवार अपराह्न् दो बजे का समय निश्चित किया। रॉय ने चार मार्च के आदेश को खारिज किए जाने की याचिका दाखिल की है।
सहारा समूह ने निवेशकों के बकाया 19,000 करोड़ रुपये वापस करने के मामले में रॉय की हिरासत का उल्लेख करते हुए बुधवार सुबह सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। यह राशि सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (एसएचआईसीएल) ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिए निवेशकों से 2008 में जुटाई गई थी।
निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए सहारा समूह की ओर से एक स्वीकार्य प्रस्ताव अदालत के सामने रखने में असफल रहने पर न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने चार मार्च को सुब्रत रॉय को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को रॉय और एसआईआरईसीएल तथा एसएचआईसीएल के तीन निदेशकों को 26 फरवरी की सुनवाई में अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था। तीनों निदेशक 26 फरवरी को उपस्थित हुए, लेकिन मां के स्वास्थ्य को आधार बनाते हुए रॉय उपस्थित नहीं हुए। आदेश की अवहेलना होते देखकर अदालत ने पुलिस को रॉय को गिरफ्तार कर चार मार्च को उनकी पेशी करने का आदेश दिया।
चार मार्च को अदालत ने रॉय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें रॉय ने कहा था कि उनकी संपत्ति को बेचकर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास 19,000 करोड़ रुपये चुकाने के लिए धरोहर राशि के रूप में जमा कर दिया जाए।
एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल ने ओएफसीडी के जरिए निवेशकों से 24 हजार करोड़ रुपये की राशि जुटाई थी। अदालत ने 31 अगस्त 2012 के आदेश में कंपनियों को निवेशकों के पैसे 15 फीसदी ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया था। अदालत ने आदेश दिया था कि पूरी राशि सेबी द्वारा वापस की जाएगी, इसलिए सहारा को यह राशि सेबी के पास जमा करने के लिए कहा गया था। दिसंबर 2012 में सहारा ने सेबी के पास 5,129 करोड़ रुपये जमा किए थे। (एजेंसी)

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