सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, ग्राहकों के पैसे लौटाने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को दिए अपने फैसले से सुपरटेक बिल्डर को तगड़ा झटका लगा है। यूपी के नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक के दो टॉवर गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर को ग्राहकों के पैसे लौटाने का आदेश दिया है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरटेक के एमरैल्ड कोर्ट अपार्टमेंट के दो टॉवर एपेक्स और सेयान गिराने के आदेश दिए थे।

सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, ग्राहकों के पैसे लौटाने के आदेश

ज़ी मीडिया ब्यूरो  

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को दिए अपने फैसले से सुपरटेक बिल्डर को तगड़ा झटका लगा है। यूपी के नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक के दो टॉवर गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर को ग्राहकों के पैसे लौटाने का आदेश दिया है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरटेक के एमरैल्ड कोर्ट अपार्टमेंट के दो टॉवर एपेक्स और सेयान गिराने के आदेश दिए थे।

रियल एस्टेट क्षेत्र के प्रमुख कारोबारी सुपरटेक को आज सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोएडा में उसके 40 मंजिला दो टावरों एपेक्स और सेयान में फ्लैट खरीदने वाले उन व्यक्तियों को एक महीने के भीतर धन लौटाया जाये जिन्होंने इसकी मांग की है। इन टावरों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिराने का निर्देश दिया है।

प्रधान न्यायाधीश आर.एम. लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि फ्लैट मालिकों को मुकदमे के कारण अनिश्चितकाल के लिए अधर में रहने को मजबूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कंपनी को निर्देश दिया कि आवंटियों को अक्तूबर के अंत तक 14 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज के साथ धन का भुगतान किया जाये।

कोर्ट ने सुपरटेक की इस दलील को ठुकरा दिया कि वह धन लौटाने की स्थिति में नही है क्योंकि ब्याज की राशि मूलधन से ज्यादा हो चुकी है। ये फ्लैट राजधानी के बाहरी छोर पर स्थित हैं और इनकी कीमत 65 से 90 लाख रूपए है।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘वे अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कर सकते हैं। वे अपना पैसा वापस पाने के हकदार हैं। ये उनकी मेहनत की कमाई है। वे मुकदमे के कारण अदालतों के चक्कर नहीं लगा सकते।’ न्यायालय ने कंपनी को निर्देश दिया कि अगस्त के अंत तक फ्लैट मालिकों को मूलधन लौटाया जाये। हाईकोर्ट के आदेश के बाद करीब 600 फ्लैट मालिकों में से 53 ने अपना पैसा वापस मांगा है। एपेक्स और सेयाने टावर में कुल 857 फ्लैट हैं जिनमें से 600 फ्लैटों की बिक्री हो चुकी है।

न्यायालय ने कहा, ‘ये आपकी जिम्मेदारी है कि फ्लैट का स्पष्ट मालिकाना हक दिया जाये लेकिन हाईकोर्ट ने इन इमारतों को गिराने का आपको निर्देश दिया है। वे अनिश्चितता में नहीं रह सकते। वे आशियाने के बगैर नहीं रह सकते। आप उन्हें ना नहीं कह सकते। आशियाना उनकी जिंदगी का अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने मुकदमा नहीं फ्लैट खरीदे हैं। अत: आप उनका पैसा लौटाए। हर चीज के उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती।’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘आपने ही यह स्थिति पैदा की है। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है लेकिन आप को नहीं गिरना चाहिए। अत: आप अभी मूलधन लौटायें और ब्याज की अदायगी के लिये हम आपको समय देंगे।’ न्यायालय ने ब्याज की अदायगी के लिये कंपनी को दो महीने का अतिरिक्त समय दिया है।

शीर्ष अदालत पांच मई को सुपरटेक की अपील पर विचार के लिए तैयार हो गयी थी और उसने ‘यथास्थिति’ बनाये रखने और दोनों टावर सील करने का आदेश दिया था जिनका कथित रूप से गैरकानूनी तरीके से निर्माण किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल को इन दो टावरों को गिराने का आदेश देने के साथ ही इनमें फ्लैट खरीदने वालों को धन लौटाने का निर्देश कंपनी को दिया था।

हाईकोर्ट ने एमेराल्ड कोर्ट ओनर रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर यह फैसला सुनाया था। इस संगठन का आरोप था कि इन टावर की मंजूरी और निर्माण उत्तर प्रदेश अपार्टमेन्ट (निर्माण को बढ़ावा, स्वामित्व और रखरखाव) कानून का उल्लंघन करके किया गया है।

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