SC ने ठुकराई नजरबंद करने की मांग, 16 अप्रैल तक जेल में ही रहेंगे सुब्रत राय

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय की तिहाड़ जेल से रिहाई को लेकर दी गई याचिका खारिज दी है। सुब्रत राय को अब 16 अप्रैल तक जेल में ही रहना होगा।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को अभी तिहाड़ जेल में ही रहना होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों को लौटाने वाले धन की व्यवस्था करने के बारे में बातचीत के लिए उन्हें घर में नजरबंद करने का अनुरोध आज ठुकरा दिया।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड की खंडपीठ ने कहा, हमने कहा है कि आप न्यायिक हिरासत में हैं। आप हमारी हिरासत में हैं। हमने आपको सिविल कारावास में नहीं भेजा है। सिविल कारावास में भेजने का मतलब सजा देना होता। कोर्ट ने सहारा प्रमुख की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि सुब्रत राय को तिहाड़ जेल में रखने की बजाय उन्हें घर या कार्यालय में ही नजरबंद किया जा सकता है क्योंकि उनके जेल में रहते हुये धन की व्यवस्था करना मुश्किल है।
जेठमलानी ने कहा, मैं कहता हूं कि इस व्यक्ति को आपराधिक जेल में भेजने का कोई अधिकार नहीं है। अवकाश आ रहे हैं। हमारी परेशानी यह है कि हम कैसे किसी से कहें कि जेल में जाकर बातचीत करे। उन्होंने कहा, मेरा मुवक्किल तिहाड़ जेल में है और किसी भी व्यक्ति के लिए उन तक पहुंचना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि सहारा अंतरराष्ट्रीय खरीददारों से सौदा करना चाहता है लेकिन राय के जेल में होने के कारण ऐसा करना मुश्किल है। न्यायाधीशों ने कहा, हम इसका ध्यान रखेंगे। इसी पर तो हम सुनवाई कर रहे हैं।
जेठमलानी ने कहा कि तिहाड़ जेल में 500 कैदी ही रखे जा सकते हैं लेकिन इस समय वहां 1300 लोग बंद हैं। उन्होंने कहा, मैं सुझाव दूंगा कि अन्य सभी मामलों को परे रखते हुए विचार किया जाए कि क्या इस कोर्ट को मेरे मुवक्किल को ऐसे स्थान पर रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को इसका अधिकार नहीं है।
मामले की सुनवाई के अंत में न्यायाधीशों ने कहा, यदि हम आपसे सहमत हों तो फिर मामला ही खत्म हो गया। कोर्ट ने वकीलों से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल को संक्षिप्त लिखित दलील पेश की जाए। शीर्ष अदालत ने इससे पहले शर्त रखी थी कि यदि सुब्रत राय 10 हजार करोड़ रूपए का भुगतान करें तो उन्हें जमानत पर छोड़ा जा सकता है। इस राशि में से 5 हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी और 5 हजार करोड़ रुपए नकद होने चाहिए थे।
लेकिन सहारा समूह ने चार मार्च से जेल में बंद राय और अपने दो निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी की जमानत के लिये 10 हजार करोड़ रुपए की तत्काल व्यवस्था करने में तीन अप्रैल को कोर्ट में असमर्थता व्यक्त की। सुब्रत राय ने इससे पहले दलील दी थी कि निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपए सेबी को नहीं देने के कारण उन्हें हिरासत में रखने का शीर्ष अदालत का आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने यह आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया था।

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