जिनीवा/नई दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन (WTO) को कड़ा संदेश देते हुए भारत ने आज साफ किया कि वह अपने खाद्य सुरक्षा मुद्दे के स्थायी समाधान के बिना व्यापार सुगमता करार (टीएफए) का अनुमोदन नहीं करेगा। इसके अलावा भारत ने गरीब देशों के लाखों लोगों के जीवनस्तर को प्रभावित करने वाले मुद्दों के समाधान पर भी जोर दिया है।
भारत ने जिनीवा में संपन्न दो दिन की आम परिषद की बैठक में कहा, लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को केवल एक नियम जो आपको स्वीकार्य नहीं है, के लिए खतरे में डालना ठीक नहीं है। भारत के कड़े रख के बाद अब विकसित देशों के लिए टीएफए के क्रियान्यन के अपने एजेंडा पर आगे बढ़ना मुश्किल होगा। इस बाधा के बाद WTO टीएफए के क्रियान्वयन की एक और समयसीमा से चूक जाएगा। विश्व व्यापार संगठन को टीएफए को 31 जुलाई तक अनुमोदित करना है।
WTO में भारतीय राजदूत अंजली प्रसाद ने कहा, टीएफए पर सदस्यों की चिंताओं को पूरी तरह समझने व उन्हें दूर करने के लिए मेरे प्रतिनिधिमंडल का विचार है कि इसे खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान तक टाला जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि पिछले सात माह में खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण के मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हुई है। खाद्यान्न भंडारण के लिए WTO के नियमों में संशोधन भारत जैसे देश के लिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करने को काफी महत्वपूर्ण है।
WTO के मौजूदा नियमों के तहत खाद्यान्न सब्सिडी कुल खाद्यान्न उत्पादन के मूल्य का 10 प्रतिशत है। हालांकि, इस सब्सिडी की गणना दो दशक पुराने मूल्य पर की जाती है। भारत खाद्यान्न सब्सिडी की गणना के लिए आधार वर्ष 1986 में बदलाव की मांग कर रहा है। अमेरिका कृषि सब्सिडी के रूप में 120 अरब डालर देता है, वहीं भारत सिर्फ 12 अरब डालर ही प्रदान कर पाता है। टीएफए की अंतिम संधि अमेरिका व आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों को काफी प्रिय है। WTO सदस्यों ने इसे पूरा कर दिया है, लेकिन भारत की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर एक भी बैठक नहीं हुई है।
पिछले साल हालांकि दो दशक बाद इस मुद्दे पर WTO की बाली बैठक में करार पर सहमति बन गई थी, लेकिन लगता है कि अब इसके रास्ते में अड़चन आएगी। अमेरिका, आस्ट्रेलिया व यूरोप जैसे विकसित देश टीएफए के अपने एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं और वे उभरती तथा गरीब अर्थव्यवस्थाओं की चिंता को अनदेखा कर रहे हैं।
इस बीच, विकसित देशों का एक बड़ा समूह डब्ल्यूटीओ में भारत के इस रख के खिलाफ लामबंद हो गया है कि वह अपनी खाद्य सुरक्षा चिंता का स्थायी समाधान हुए बिना व्यापार सुगमता करार (टीएफए) पर दस्तखत नहीं करेगा। दो अलग अलग बयानों में यूरोपीय संघ व आस्ट्रेलिया की अगुवाई वाले दो दर्जन देशों के समूह ने भारत से टीएफए के खिलाफ वीटो नहीं करने को कहा है।
आस्ट्रेलियाई की अगुवाई वाले 25 देशों के समूह ने आगाह किया है कि इससे हटने का फैसला किसी के हित में नहीं होगा। इससे भविष्य की योजनाओं पर निर्णय करने की WTO की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़ा होगा। इसके अलावा इससे WTO सदस्यों को टीएफए के क्रियान्वयन के लिए सक्षम बनाने की नई पहल भी बाधित होगी।
आस्ट्रेलिया के नेतृत्व वाले इस समूह ने अपने बयान में कहा है, दोहा दौर की वार्ताओं के लिए बाली कार्य योजना की प्रगति की संभावनाओं का भी इससे रास्ता रकेगा। इसके अलावा मंत्रियों ने बाली में जो अन्य फैसले किए हैं उन पर भी असर पड़ेगा। यूरोपीय संघ ने अलग से जारी बयान में कहा कि 31 जुलाई तक व्यापार सुगमता करार को अपनाए बिना वृद्धि और विकास के लिए व्यापार के इस्तेमाल का एक शानदार मौका चूक जाएगा। WTO जो वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान संरक्षणवाद के खिलाफ एक दीवार बना था, इससे उसकी प्रतिष्ठा को और आघात पहुंचेगा।
भारत की चिंताओं का उल्लेख करते हुए यूरोपीय संघ ने कहा कि बाली बैठक ने इसका एक खुला समाधान दिया है, जो प्रभावी तरीके से इस चिंता को दूर करता है। वहीं WTO के सदस्य इसके स्थायी समाधान के लिए काम करते रहेंगे। बयान में कहा गया है कि अभी तक डब्ल्यूटीओ सदस्य संयुक्त रूप से बाली प्रतिबद्धताओं का सम्मान करते रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में गंभीर कार्य हुआ है और अच्छी प्रगति हुई है। विकासशील व अल्पविकसित देशों के मुद्दों पर भी काम हुआ है।