माओ मुझे अपना बेटा मानते थे: दलाई लामा
Advertisement

माओ मुझे अपना बेटा मानते थे: दलाई लामा

चीन के पूर्व शीर्ष नेता माओ त्से तुंग के साथ अपने ‘‘बेहद अच्छे’’ रिश्तों का स्मरण करते हुए तिब्बत के निर्वासित अध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने आज कहा कि वह उन्हें पिता की तरह मानते थे जबकि दिवंगत चीनी नेता उन्हें अपने पुत्र की तरह मानते थे।

लंदन : चीन के पूर्व शीर्ष नेता माओ त्से तुंग के साथ अपने ‘‘बेहद अच्छे’’ रिश्तों का स्मरण करते हुए तिब्बत के निर्वासित अध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने आज कहा कि वह उन्हें पिता की तरह मानते थे जबकि दिवंगत चीनी नेता उन्हें अपने पुत्र की तरह मानते थे।
सार्वजनिक व्याख्यान और कई कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए ब्रिटेन आये दलाई लामा ने चीन में बिताये अपने दिनों और माओ के साथ अपने अच्छे रिश्तों को की याद किया।
उन्होंने कहा, वह (माओ) मुझे एक पिता के रूप में नजर आते थे और वह मुझे अपने पुत्र की तरह मानते थे। (हमारे) बहुत अच्छे संबंध थे। एकमात्र समस्या कई अवसरों पर होती थी जब आधिकारिक रात्रिभोज होता था। चेयरमैन माओ हमेशा मुझे अपने बगल में बुला लेते थे। साथ ही दलाई लामा ने यह भी कहा, इस तरह चीनी परंपरा के अनुसार चेयरमैन माओ स्वयं अपनी चापस्टिक्स से उनकी प्लेट में कुछ खाना रखते थे। लिहाजा एक तरह से यह बेहद सम्मान की बात थी। लेकिन एक तरह से मैं भयभीत था। वह काफी खांसा करते थे, वह चेन स्मोकर थे, लिहाजा मुझमें कुछ कीटाणु आ सकते थे (हंसते हुए)।
भारत में 1959 में आये दलाई लामा ने कहा, मैं जब चीन में था, मैंने मार्क्सकवादी आर्थिक सिद्धांत को सीखा था, जिसमें महज मुनाफे की जगह समान वितरण पर जोर दिया जाता है। चूंकि हम मनुष्यों ने यह (आर्थिक) समस्या पैदा की, हमारे पास इससे पार पाने की भी क्षमता है। हमारी दिक्कतों के बावजूद हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। हमें अपनी आत्मनिर्भरता बरकरार रखनी चाहिए जो बेहद महत्वपूर्ण है। (एजेंसी)

Trending news