मानहानि मामले में पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह को सम्‍मन
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मानहानि मामले में पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह को सम्‍मन

दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और सेना के चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ‘अभियुक्त’ के रूप में सम्मन जारी किए।

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और सेना के चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ‘अभियुक्त’ के रूप में सम्मन जारी किए।
अदालत ने पाया कि सेवानिवृत्त जनरल तेजिन्दर सिंह द्वारा आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने के लिए दायर मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और चार अन्य अधिकारियों को सम्मन जारी करने के लिए पर्याप्त सामग्री है।

यह पहला अवसर है जब किसी पूर्व सेनाध्यक्ष और सेना चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत ने तलब किया है। अदालत ने जिन सैन्य अधिकारियों को सम्मन जारी किए हैं। उन्हें पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह, वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ एसके सिंह, लेफ्टिनेन्ट जनरल बीएस ठाकुर (डीजीएमआई), मेजर जनरल एसएल नरसिम्हन (अतिरिक्त महानिदेशक सार्वजनिक सूचना) और लेफ्टिनेन्ट कर्नल हितेन साहनी शामिल हैं। सेवानिवृत्त जनरल तेजिन्दर सिंह ने अपनी शिकायत में इन सैन्य अधिकारियों पर उनके खिलाफ झूठे लांछन लगाने के लिए अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जय थरेजा ने तीन पेज के अपने आदेश में जनरल वी के सिंह सहित सभी पांच सैन्य अधिकारियों को आरोपियों के रूप में 20 जुलाई को अदालत में हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किए हैं। मजिस्ट्रेट ने कहा कि तेजिन्दर सिंह के वकील की दलीलों को सुनने, अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत जांच के दौरान सामने आए साक्ष्य एवं अन्य सामग्री के अवलोकन और कानूनी पहलुओं के अध्ययन के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि इन सभी प्रतिवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए समुचित आधार है।
तेजिन्दर सिंह ने सेना की पांच मार्च की प्रेस विज्ञप्ति को लेकर तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल सिंह और चार अन्य सैन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने का अनुरोध किया था। इस प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि तेजिन्दर सिंह ने छह सौ ट्रकों के सौदे को मंजूरी देने के लिए सेनाध्यक्ष को कथित रूप से 14 करोड़ रूपए की रिश्वत देने की पेशकश की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ये सम्मन सिर्फ कथित मानहानि के आरोप तक ही सीमित हैं क्योंकि आपराधिक साजिश रचने का आरोप हास्यासपद लगता है।
मानहानि का आरोप सिद्ध होने की स्थिति में आरोपियों को अधिकतम दो साल की कैद और जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सिंह और अन्य आरोपियों के पास अब मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होने या फिर सम्मन जारी करने के आदेश को सó। अदालत या उच्च न्यायालय में चुनौती देने का विकल्प उपलब्ध है। इस घटनाक्रम पर जब रक्षा मंत्रालय और सैन्य अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जबकि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सिंह टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। (एजेंसी)

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