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लंदन : गर्दन के दर्द के इलाज के लिए चाइरोप्रैक्टिस एक आम इलाज है किन्तु वैज्ञानिकों का कहना है कि इस इलाज से आघात का खतरा हो सकता है। चाइरोप्रैक्टिस में रीढ़ की हड्डी के गर्दन के पास वाले भाग को दबाया जाता है।
ब्रुनेल यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर रिसर्च एंड रीहैबिलिटेशन के वैज्ञानिक नील ओ कोनेल और उनके सहयोगियों ने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा है कि सर्वाइकल क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी में दबाव से गर्दन की मुख्य धमनियां दबकर क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और इससे आघात हो सकता है।
बहरहाल, उनका कहना है कि इस तकनीक से आघात का मामूली खतरा होता है लेकिन फिर भी इस तकनीक से बचना चाहिए। इस बीच, बीबीसी की एक खबर में कहा गया है कि अन्य वैज्ञानिकों को लगता है कि इस तकनीक की मदद से गर्दन, पीठ और रीढ़ की मांसपेशियों के इलाज से मरीज को राहत मिलती है। (एजेंसी)