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नई दिल्ली : कांग्रेस के एक नेता ने पार्टी के नेताओं द्वारा आप की प्रशंसा किए जाने पर बेचैनी व्यक्त करते हुए उसकी तुलना 1990 के दशक में बिहार में लालू प्रसाद के शासन के शुरुआती दिनों से की जबकि एक अन्य नेता ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी की प्रशंसा करने के लिए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को आड़े हाथ लिया।
कांग्रेस महासचिव एवं पार्टी मामलों के दिल्ली प्रभारी शकील अहमद ने ट्विटर पर कहा कि आप की सरकार मुझे लालू राज के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। जयप्रकाश नारायण की मूर्ति के निकट शपथ ग्रहण करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का आह्वान करना, जनता दरबार लगाना, गरीब बच्चों के बाल कटवाना और उन्हें नहलाना आदि। लालू राज शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर राजद विरोधी पार्टियों और विश्लेषकों द्वारा उन दिनों की विकास पहल की कमी, अराजकता और शासन की कमी बताने के लिए किया जाता है।
अहमद की यह टिप्पणी पार्टी महासचिव एवं संगठन प्रभारी जनार्दन द्विवेदी द्वारा कल की गई टिप्पणी के बाद आई है। उन्होंने कहा कि मार्क्सवादियों को ही उन बातों का ख्याल रखने दीजिये जो वे कहते हैं। शायद उन्हें अराजकता की स्थिति ही पसंद आती है। उन्हें ऐसी स्थिति में राजनीति करने का मौका मिलता है, यह एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसके बारे में हममें से अधिकतर को जानकारी है और जिसे हम मानते भी हैं।
वामदलों के कुछ नेताओं के साथ ही केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश द्वारा आप की प्रशंसा किये जाने के बारे में पूछने पर द्विवेदी ने कहा कि जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो प्रत्येक कार्यकर्ता इस बात को लेकर दुखी है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई। उसे दुख होता है। वह नाराज भी है।
कांग्रेस के हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं कांग्रेस कार्य समिति में विशेष आमंत्रित अनिल शास्त्री ने ट्विटर पर लिखा कि जयराम रमेश ने आप की काफी प्रशंसा की है। यह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ जाएगा। उन्हें अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बोलना चाहिए। शास्त्री ने कहा कि जयराम रमेश कहते हैं कि लोकपाल विधेयक दो वर्ष पहले ही पारित हो जाना चाहिए था। वह सरकार में मंत्री थे। उन्होंने पार्टी के लिए उसके लिए दबाव क्यों नहीं बनाया? शास्त्री ने कहा कि जयराम अपनी कार दिल्ली के यातायात में फंस जाने को लेकर नाराज हैं। वीआईपी आवाजाही के चलते आम जनता को होने वाली परेशानियों का क्या? रमेश के विचार पर द्विवेदी ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां ऐसे व्यक्ति की ओर से ही आ सकती हैं जो एक पार्टी कार्यकर्ता नहीं है और उसे पार्टी के काम में मेहनत किए बिना ही प्रमुखता मिलने लगी हो। हालांकि उन्होंने कहा कि वह किसी विशेष व्यक्ति का उल्लेख नहीं कर रहे हैं। (एजेंसी)