भाजपा के संसदीय बोर्ड का फिर से गठन किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष अमित शाह होंगे। संसदीय बोर्ड से अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बाहर कर दिया गया है।
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नई दिल्ली : भाजपा में पीढीगत बदलाव आज उस समय पूर्ण हो गया जब पार्टी में निर्णय करने वाले शीर्ष निकाय संसदीय बोर्ड में पार्टी के संस्थापक रहे अटल बिहरी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को स्थान नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रभाव दर्शाने वाले पार्टी में बदलाव के इस दौर में वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को पांच सदस्यीय नवगठित ‘‘मार्गदर्शक मंडल’’ में स्थान दिया गया है। वाजपेयी, आडवाणी और जोशी का करीब चार दशक तक पार्टी से जुड़ाव रहा है।तीन बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के महासचिव जे पी नड्डा को भाजपा संसदीय बोर्ड में स्थान दिया गया है जिसका पुनर्गठन पार्टी के नये अध्यक्ष अमित शाह ने किया।
दोनों को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति में भी शामिल किया गया है जो चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के संबंध में निर्णय करती है। 12 सदस्यीय संसदीय बोर्ड की अध्यक्षता शाह करेंगे। इसके सदस्यों में मोदी, राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत, शिवराज सिंह चौहान, जे पी नड्डा, और रामलाल शामिल हैं।
कांग्रेस ने भाजपा के अपने संस्थापक नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड में जगह नहीं दिये जाने के फैसले पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि इन नेताओं को ‘वृद्धाश्रम’ (ओल्ड एज होम) में डाल दिया गया है और उनका मार्गदर्शक मंडल सिर्फ ‘मूकदर्शक मंडल’ रहेगा।