भारत-चीन ने सीमा विवाद के जल्दी समाधान का किया संकल्प
Advertisement

भारत-चीन ने सीमा विवाद के जल्दी समाधान का किया संकल्प

भारत और चीन ने अपने संबंधों को नया आयाम देने के लिहाज़ से सीमा विवाद का ‘रणनीतिक उद्देश्य’ के तहत शीघ्र हल निकालने का संकल्प करते हुए आज कहा कि इसका जल्द समाधान होने से दोनों देशों के हित आगे बढ़ेंगे।

नई दिल्ली : भारत और चीन ने अपने संबंधों को नया आयाम देने के लिहाज़ से सीमा विवाद का ‘रणनीतिक उद्देश्य’ के तहत शीघ्र हल निकालने का संकल्प करते हुए आज कहा कि इसका जल्द समाधान होने से दोनों देशों के हित आगे बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई व्यापक वार्ता के दूसरे दिन दोनों देशों की ओर से आज जारी बयान में उसके नतीजों की जानकारी दी गई। सीमा मुद्दे के बारे में बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के प्रश्न पर विचारों का आदान प्रदान किया और इसके ऐसे ‘निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान’ की प्रतिबद्धता जताई जिससे आम द्विपक्षीय हित सधें।

सीमा विवाद के समाधान के लिए राजनीतिक मानदंडों और नीति निर्देशक सिद्धांतों के बारे में हुए वर्ष 2005 के समझौते को याद करते हुए दोनों पक्षों ने इस मामले के शीघ्र समाधान की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि ऐसा करने से दोनों देशों के मूलभूत हित आगे बढ़ेंगे जिससे रणनीतिक उद्देश्य हासिल किए जा सकेंगे।यह संयुक्त बयान 2013 में तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली केछियांग और मनमोहन सिंह के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान से मिलता जुलता है हालांकि इसमें सीमा विवाद सुलझाने के लिए ‘सामरिक उद्देश्य’ और ‘शीघ्र समाधान’ जैसी नयी शब्दावलियों का प्रयोग हुआ है।

शी की तीन दिवसीय भारत यात्रा पर लद्दाख क्षेत्र में उत्पन्न सीमा गतिरोध का साया बना रहा और मोदी ने चीन के राष्ट्रपति के साथ कल हुई बातचीत में इस विषय को मजबूती से उठाया। दोनों पक्षों ने अपनी यह इच्छा दोहराई कि सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पंचशील के सिद्धांतों के आधार पर ऐसी मैत्रीपूर्ण वार्ता के जरिए सुलझाया जाए जिससे आम संबंध प्रभावित नहीं हों। बयान में कहा गया, दोनों पक्षों ने ‘परस्पर एवं समान सुरक्षा’ तथा एक दूसरे की चिंताओं और आकांक्षाओं के प्रति परस्पर संवेदनशीलता बरतने के सिद्धांत के आधार पर शांति और खुशहाली के लिए सामरिक एवं सहयोगात्मक भागीदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

भारत ने दृढ़ता से दावा किया कि 4000 किलोमीटर सीमा विवादित है जबकि चीन ने दावा किया कि यह अरूणाचल प्रदेश जिसे वह ‘दक्षिण तिब्बत’ कहता है, के 2000 किलोमीटर तक सीमित है। सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास में भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के अभी तक 17 दौर हो चुके हैं। मोदी और शी दोनों ने सीमा विवाद हल के लिए विशेष प्रतिनिधि तंत्र की उपयोगिता और महत्व की पुष्टि की। दोनों ने सीमा संबंधी मामलों से निपटने के लिए विचार विमर्श तंत्र के कार्य पर भी संतोष जताया।

संयुक्त बयान में कहा गया, दोनों पक्ष सुविधाजनक समय में दोनों देशों के चौथे संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण और नौसेना-वायुसेना संयुक्त अभ्यास करने पर सहमत हुए। दोनों देश शांति कार्यो, आतंकवाद विरोधी अभियानों, नौसेना अनुरक्षण, समुद्री सुरक्षा, मानवीय बचाव, आपदा शमन और कर्मियों को प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को और मजबूत करने पर सहमत हुए। चीन के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को परस्पर सुविधाजनक समय में चीन यात्रा का निमंत्रण दिया जिसे मुखर्जी ने स्वीकार कर लिया।

शी ने कहा कि वह मोदी की शीघ्र चीन यात्रा की उम्मीद कर रहे हैं। मोदी ने भी कहा कि उन्होंने खुशी के साथ शी के निमंत्रण को स्वीकार किया है और उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही चीन दौरे पर जाएंगे। चीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बड़ी भूमिका निभाने की भारत की इच्छा को वह समझता है और उसका समर्थन करता है। बयान के मुताबिक मोदी और शी ने हर तरह के आतंकवाद के प्रति अपने ‘‘दृढ विरोध’’ को दोहराया और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की प्रतिबद्धतता जताई।

Trending news