'सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामलों के जल्द निपटारे के लिए राज्यों को लिखेगा केंद्र'

केंद्र सरकार उन आरोपों को झेल रखे सांसदों एवं विधायकों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए राज्य सरकारों को जल्द ही लिखेगा जिनके साबित होने पर वे अयोग्य घोषित हो सकते हैं। केन्द्र सरकार का यह कदम सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों के शीघ्र निबटारे के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा समयसीमा निर्धारित करने की पृष्ठभूमि में उठाया जायेगा।

'सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामलों के जल्द निपटारे के लिए राज्यों को लिखेगा केंद्र'

 नई दिल्ली : केंद्र सरकार उन आरोपों को झेल रखे सांसदों एवं विधायकों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए राज्य सरकारों को जल्द ही लिखेगा जिनके साबित होने पर वे अयोग्य घोषित हो सकते हैं। केन्द्र सरकार का यह कदम सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों के शीघ्र निबटारे के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा समयसीमा निर्धारित करने की पृष्ठभूमि में उठाया जायेगा।

दागी सांसदों और विधायकों से राजनीति को मुक्त करने के प्रधानमंत्री के निर्देशों की पृष्ठभूमि में भी यह कदम उठाया जा रहा है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘नरेन्द्र मोदी सरकार की प्राथमिक रूप से यह प्रतिबद्धता रही है कि राजनीतिक को स्वच्छ होना चाहिए। जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, मुकदमें जल्द पूरे होने चाहिए। यदि वे पाक साफ हैं तो उन्हें बरी कर दिया जायेगा। यदि नहीं तो कानून अपना काम करेगा।’

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुयी उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया। इस बैठक में प्रसाद तथा गृह और एवं कानून मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने हिस्सा लिया।

प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 10 मार्च के निर्देश के अनुसार जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 :1:, 8:2: और 8 :3: के तहत अयोग्य साबित हो सकने वाले मामलों में सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ आरोप के तय होने के बाद एक वर्ष के भीतर मुकदमा पूरा हो जाना चाहिए।

यदि किसी जन प्रतिनिधि के विरूद्ध दो साल या अधिक की सजा सुनायी जाती है तो वह संसद या राज्य विधान मंडल की सदस्यता से अयोग्य घोषित हो जायेगा।

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