भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों ने फिर की घुसपैठ, 30 किलोमीटर अंदर गाड़ा झंड़ा

लद्दाख के बर्तसे इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों के 25 से 30 किलोमीटर अंदर तक घुसने की खबर है जहां उन्होंने पिछले साल अपने तंबू लगाये थे और तीन सप्ताह तक तनाव की स्थिति रही थी।

भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों ने फिर की घुसपैठ, 30 किलोमीटर अंदर गाड़ा झंड़ा

लेह-नई दिल्ली : लद्दाख के बर्तसे इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों के 25 से 30 किलोमीटर अंदर तक घुसने की खबर है जहां उन्होंने पिछले साल अपने तंबू लगाये थे और तीन सप्ताह तक तनाव की स्थिति रही थी।

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि भारतीय सैनिकों के एक गश्तीदल ने कल अपने केंद्र से जम्मू कश्मीर में उत्तरी लद्दाख के बर्तसे इलाके की ‘न्यू पेट्रोल बेस’ चौकी की ओर जाते हुए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों को देखा। यह क्षेत्र 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

सूत्रों ने कहा कि अपने केंद्र से महज डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 25 से 30 किलोमीटर अंदर भारतीय क्षेत्र में चीनी जवानों को देखा। नयी मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए भारतीय सैनिक अपने अड्डे की ओर लौट गये।

सैनिकों ने आज तड़के ‘न्यू पेट्रोल बेस’ चौकी तक एक बार फिर गश्त की। हालांकि उन्हें हालात में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला और उन्होंने वहां मैदान में पीएलए के जवानों को बैठे हुए देखा जिनके हाथों में झंडे थे और उन पर लिखा था, ‘यह चीनी क्षेत्र है, वापस जाओ।’

सूत्रों ने बताया कि भारतीय गश्ती दल के साथ एक त्वरित प्रतिक्रिया दल भी था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और चीन के सैनिकों ने अपनी जगह से हिलने से इनकार कर दिया। अंतत: भारतीय सैनिक अपने केंद्र पर लौट आये और उच्च अधिकारियों को सूचित किया। उधमपुर में सैन्य प्रवक्ता कर्नल एस डी गोस्वामी ने इस तरह की किसी भी घटना घटने से इनकार किया है। लेकिन उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच कोई साझा निर्धारित एलएसी नहीं है जिससे उल्लंघन होता हो।

ईमेल से पूछे गये सवालों के जवाब में प्रवक्ता ने कहा, ‘सीमा पर ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें लेकर भारत और चीन की एलएसी की धारणा अलग है। चूंकि दोनों पक्ष अपने दृष्टिकोण के अनुरूप एलएसी तक गश्त करते हैं इसलिए अतिक्रमण होता है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि भारत-चीन सीमा पर चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में किसी तरह की घुसपैठ या अतिक्रमण की कोई घटना नहीं घटी है।’ प्रवक्ता ने कहा कि भारत नियमित रूप से अतिक्रमण की किसी भी बात को स्थापित प्रणाली के माध्यम से चीनी पक्ष के साथ उठाता है जिनमें फ्लैग वार्ताएं, सीमा पर जवानों की बैठकें और भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श तथा समन्वय के लिए कार्य प्रणाली जैसे सामान्य राजनयिक चैनल शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन बैठकों में भारत और चीन के बीच अनेक समझौतों के प्रावधानों के माध्यम से मुद्दों को सुलझाया जाता है। सूत्रों के अनुसार भारतीय सीमा पर गश्ती दल ने अपने अड्डे के पास ‘नल्ला वन’ नामक जगह से ‘न्यू पेट्रोल बेस’ तक पहुंचने का प्रयास किया। सूत्रों ने कहा कि चीनी पीएलए ने पिछले साल की तरह अपने तंबू लगाये या नहीं, इसका पता लगाने के लिए इलाके की सैटेलाइट तस्वीर ली जा सकती है।

हालांकि सूत्रों ने संकेत दिया कि चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में अंदर तक अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए कुछ तंबू लगाये जाने की संभावना है। दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से सटा बर्तसे बड़े देपसांग मैदानी क्षेत्र का हिस्सा है जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है। हालांकि चीनी पक्ष इसके उसका क्षेत्र होने का दावा करता रहा है।

यह क्षेत्र पिछले साल भारत और चीनी सैनिकों के बीच 21 दिन के गतिरोध के कारण खबरों में रहा था। यह गतिरोध दोनों पक्षों की चार फ्लैग वार्ताओं के बाद समाप्त हुआ था। तब चीनी पीएलए ने इलाके में पांच तंबू लगाये थे और दावा किया था कि यह उनके क्षेत्र का हिस्सा है।

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