अटॉर्नी जनरल की राय में नेता प्रतिपक्ष की हकदार नहीं कांग्रेस : सूत्र

भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि कांग्रेस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की हकदार नहीं है। इसके लिए कोरम के बराबर यानी लोकसभा में कम से कम 10 फीसदी सीटें पार्टी के पास होनी चाहिए, तभी किसी पार्टी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है।

अटॉर्नी जनरल की राय में नेता प्रतिपक्ष की हकदार नहीं कांग्रेस : सूत्र

ज़ी न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली : भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि कांग्रेस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की हकदार नहीं है। इसके लिए कोरम के बराबर यानी लोकसभा में कम से कम 10 फीसदी सीटें पार्टी के पास होनी चाहिए, तभी किसी पार्टी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है। कांग्रेस के पास सिर्फ 44 सीटें हैं इसलिए नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को नहीं मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी।

सूत्रों के अनुसार, अपनी राय के पक्ष में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जब किसी पार्टी को पहली लोकसभा के दिनों से 10 फीसदी सीटों का मानक पूरा किए बिना नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया हो। नेता प्रतिपक्ष का पद एक तरह से कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है।

भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद के बिना रहना पड़ सकता है क्योंकि इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल की राय के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन के लिए कांग्रेस को यह पद देना मुश्किल होगा। पार्टी ने कहा कि अटॉर्नी जनरल सरकार के सर्वोच्च संवैधानिक सलाहकार हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर व्यापक राय दी है।  भाजपा संसदीय दल के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ‘उन्होंने व्यापक राय दी है, जिसके बाद स्पीकर के लिए कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद देना मुश्किल हो सकता है।’

दूसरी ओर कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया में उम्मीद जताई है कि अटॉर्नी जनरल की राय से लोकसभा अध्यक्ष ‘गुमराह’ नहीं होंगी। कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा, ‘अटॉर्नी जनरल सरकार की राय का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने सरकार के नजरिये को जाहिर किया। सरकार का इससे (विपक्ष के नेता पद के मुद्दे से) कोई लेना देना नहीं है। यह लोकसभा अध्यक्ष का अधिकार है। उनकी व्यवस्था के बाद ही हम प्रतिक्रिया देंगे।’

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय से कांग्रेस की मांग की अहमियत कम नहीं होती और सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को मान्यता मिलनी ही चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को तटस्थ होकर संसद में विपक्ष की आवाज को उठने देना चाहिए। राज्य सभा में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इस संबंध में उदार होना चाहिए, खासतौर पर ऐसे समय में जबकि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पहली लोकसभा के दिनों से ही ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जब किसी पार्टी के पास न्यूनतम सांसद संख्या न होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया हो। पहली लोकसभा में जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे और जी वी मावलंकर लोकसभा के अध्यक्ष थे।

अटॉर्नी जनरल ने स्पीकर से कहा कि यहां तक कि राजीव गांधी के समय में जब कांग्रेस को 400 से अधिक सीटें मिली थीं तब पार्टी ने इसी कारण के चलते तेदेपा को नेता प्रतिपक्ष का पद देने से मना कर दिया था।

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