हंगामे की भेंट चढ़ा बजट सत्र का पहला दिन, महंगाई पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
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हंगामे की भेंट चढ़ा बजट सत्र का पहला दिन, महंगाई पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

बढ़ती महंगाई को लेकर संसद के बजट सत्र में विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें नियंत्रण में हैं तथा घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

हंगामे की भेंट चढ़ा बजट सत्र का पहला दिन, महंगाई पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

नई दिल्ली : बढ़ती महंगाई को लेकर संसद के बजट सत्र में विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें नियंत्रण में हैं तथा घबराने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही राजग सरकार ने मूल्यवृद्धि की मौजूदा स्थिति के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने महंगाई के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में खाद्य वस्तुओं की कीमतों की मौजूदा स्थिति तथा रेल यात्री किरायों एवं माल भाड़े में हाल में हुई बढ़ोत्तरी के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उनकी सरकार को यह ‘विरासत’ में मिली है।

चर्चा के दौरान कांग्रेस, बसपा, सपा एवं तृणमूल कांग्रेस ने राजग के चुनावी नारे ‘अच्छे दिन’ का मजाक बनाते हुए कहा कि प्याज एवं आलू जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम में वृद्धि तथा रेल किरायों एवं भाड़े में बढ़ोत्तरी, डीजल दरों में इजाफे में क्या इसकी झलक मिलती है।

जेटली ने कहा कि 41 दिन पुरानी नरेन्द्र मोदी सरकार ने खाद्य कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए फौरन कदम उठाये जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने खाद्य वस्तुओं में मूल्यवृद्धि को रोकने के लिए कुछ नहीं किया और प्याज के दाम 100 रुपए प्रति किग्रा तक चढ़ गये।

उन्होंने कहा कि सरकार पर ऐसे समय में हमला किया जा रहा है जबकि उसने कल पेश किये जाने वाले रेल बजट और वृहस्पतिवार को पेश किये जाने वाले आम बजट में अपनी वित्तीय रूपरेखा को अभी सार्वजनिक भी नहीं किया है।

जेटली के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, बसपा, तृणमूल और माकपा सहित कई विपक्षी दलों ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले वित्त मंत्री ने सदन को आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि वह इसे एक गंभीर एवं संवेदनशील मामला मानती है। प्याज एवं आलू की पर्याप्त आपूर्ति है तथा घबराने की कोई जररत नहीं है।

उन्होंने कहा कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग प्याज एवं आलू की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए कदम उठाना जारी रखेगी। उन्होंने ध्यान दिलाया कि इन दोनों जिंसों का उत्पादन बढ़ा है।

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि जमाखोरों और बिचौलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि वही कीमत वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में बताते हुए जेटली ने कहा कि केन्द्र ने राज्यों को जमाखोरों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है तथा स्टॉक रखने की सीमा को तय किया है तथा प्याज एवं आलू के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढ़ाया है।

उन्होंने कहा, 'पिछले दो साल से प्याज और आलू के दाम बढ़ते रहे हैं। तत्कालीन सरकार दाम बढ़ जाने के बाद जागती थी.. हमने कीमतों के 25 रुपए प्रति किग्रा तक पहुंचने के साथ ही कदम उठाने शुरू कर दिए।' माकपा के नेता सीताराम येचुरी द्वारा विभिन्न कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग पर वित्तमंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि, 'सरकार इस सुझाव को दिमाग में रखेगी।' रेल यात्री किरायों में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि और मालभाड़े में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि पर विपक्ष की तीखी आलोचना के जवाब में जेटली ने कहा कि दरअसल यह निर्णय संप्रग सरकार ने 11 फरवरी को किया था और मौजूदा सरकार ने महज इसे लागू किया है।

जेटली ने कहा कि रेलमंत्री डी वी सदानंद गौड़ा के पास और कोई चारा ही नहीं था क्योंकि रेलवे की आर्थिक स्थिति बहुत ही बदहाल थी। वित्तमंत्री ने कहा, 'क्या वह (रेलमंत्री) अपने पूर्ववर्ती की इन कमजोर नीतियों का पालन करते कि अलोकप्रिय निर्णय नहीं लिये जा सकते भले ही वे राष्ट्रीय हित में क्यों न हों अथवा वह निर्णय करते जो उन्होंने किया। उन्होंने तथ्यों को देश के सामने रखकर यह बताया कि रेलवे केा चलाने के लिए यह निर्णय आवश्यक है।'

जेटली ने कहा कि रेल यात्री किराया और मालभाड़े में वृद्धि का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फरवरी में मंजूर किया था लेकिन सत्ता से बाहर जाने के डर से तत्कालीन सरकार ने इसे लागू नहीं किया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन द्वारा निशाना बनाये जाने पर उन्होंने पलटवार किया और तृणमूल प्रमुख एवं पूर्व रेलमंत्री ममता बनर्जी पर परोक्ष हमला किया। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं मालूम कि पूर्व में जिन लोगों ने रेलवे मंत्रालय का जिम्मा संभाला, क्या वे मौजूदा स्थिति के लिए दोषी हैं।'

डीजल कीमतों में एक रुपए की वृद्धि के बारे में वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की क्रमिक रूप से मासिक वृद्धि को लागू कर रही है। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि जमाखोरों और मुनाफाखोरों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला चलाया जाना चाहिए क्योंकि वे स्थिति से फायदा उठाने का प्रयास करते हैं।

उन्होंने कहा कि प्याज और आलू की कीमतों में वृद्धि होने का एक कारण पर्याप्त भंडारण क्षमता का नहीं होना है। उन्होंने कहा कि सरकार भंडारण क्षमता में वृद्धि पर पर्याप्त बल देगी। इससे पूर्व सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने राजग सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि उसके 45 दिनों के शासन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने महंगाई नियंत्रित करने के वादे के दम पर सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन मुद्रास्फीति कम करने के लिए अब तक कुछ नहीं किया। चर्चा की शुरूआत करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजग सरकार के करीब डेढ़ माह के शासन के दौरान हर आवश्यक वस्तु के दाम बढ़े हैं।

आजाद ने कहा कि सत्ता में आते ही भाजपा नीत सरकार ने रेल यात्री किराया और माल भाड़ा बढ़ाया तथा पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम भी बढ़ा दिये जिसके कारण महंगाई खुद ब खुद बढ़ गई। कांग्रेस नेता आजाद ने कटाक्ष किया कि चुनाव के दौरान भाजपा का पूरा प्रचार अभियान महंगाई और मुद्रास्फीति पर केंद्रित था लेकिन चुनाव जीतने के बाद नयी सरकार ने देशवासियों को महंगाई का तोहफा दे दिया।

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने आश्वासन दिया था कि उनके सत्ता में आते ही गरीबी, महंगाई और भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएंगे लेकिन नयी सरकार ने सत्ता में आते ही नयी परंपरा शुरू कर दी। रेल मंत्री ने रेल बजट से पहले ही यात्री किराये और माल भाड़े में वृद्धि कर दी। मायावती ने भाजपा के चुनावी नारे का संदर्भ देते हुए तंज कसा अच्छे दिन नहीं आए हैं, महंगे दिन आए हैं।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि रेल किराये और माल भाड़े में वृद्धि का सीधा असर गरीबों पर पड़ेगा क्योंकि इससे महंगाई बढ़ेगी। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी ने तय किया था कि वह छह माह तक सरकार को कामकाज करने और नतीजे देने का मौका देगी तथा इस अवधि में उसकी आलोचना नहीं करेगी। लेकिन अब उनकी पार्टी को बहुत जल्दी ही सरकार की आलोचना करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

जदयू के शरद यादव ने कहा कि महंगाई के नाम पर सिर्फ सब्जियों, फलों और अनाज के दामों की चर्चा हो रही है जबकि सीमेंट, उर्वरक, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं सहित अन्य चीजों में मूल्यवृद्धि की कोई चर्चा नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन चीजों ने भी महंगाई बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने राजग सरकार का बचाव किया और कहा कि महंगाई की समस्या उसे विरासत में मिली है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार एवं घोटालों के कारण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुयी।

माकपा के सीताराम येचुरी ने भाजपा नीत राजग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा की यह दलील उचित नहीं है कि उसे महंगाई विरासत में मिली है। उन्होंने कहा कि यह कोई रिले रेस नहीं है जिसे कांग्रेस ने शुरू किया और अब भाजपा उसे आगे बढ़ा रही है। राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं और सत्ता पक्ष को यह बताना चाहिए कि वह इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए क्या कर रहा है।

बहस में हस्तक्षेप करते हुए खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा पिछले वर्षों में आलू, प्याज, गेहूं, चावल, चीनी इत्यादि जैसे खाद्य जिंसों का उत्पादन बढ़ा है। ऐसी स्थिति में दाम का बढ़ना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि बिचौलिये और जमाखोर इसके लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि जमाखोरी राष्ट्रविरोधी काम है और इसके लिए जो भी सजा दी जाये, वह कम है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मौजूदा चुनौतियों को दूर करने के लिए शीघ्रता से पहल करते हुए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का लगभग 13,500 करोड़ रुपए का बकाया है। इसके लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। इनमें ब्याज मुक्त ऋण की अवधि को 3 से बढ़ाकर 5 वर्ष किया जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि मिलों द्वारा गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान की प्रतिबद्धता के बाद ही उन्हें यह ब्याज मुक्त ऋण दिया जा सकेगा।

उन्होंने विभिन्न राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ हुई बैठक का हवाला देते हुए कहा कि सभी की राय से स्टॉक रखने की सीमा को निर्धारित किया गया तथा उसमें कॉमन नेशनल मार्केट की स्थापना किये जाने की भी बात को रखा गया। उन्होंने कहा कि बैठक में मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने के अलावा जमाखोरी और हेरा फेरी करने के अपराध को गैर जमानती बनाये जाने का भी हवाला दिया।

खाद्य जिंसों की आपूर्ति बढ़ाकर कीमतों को अंकुश में रखने के कदम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पीडीएस के जरिये वितरण के लिए 50 लाख टन चावल दिया गया है तथा आगे और जररत पड़ने पर ऐसे कदम उठाये जायेंगे। द्रमुक की कनिमोई ने कहा कि लोगों को नयी सरकार से काफी उम्मीदें थीं लेकिन उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। रेल भाड़ों में वृद्धि पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे अन्य चीजों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। शिवसेना के अनिल देसाई ने कहा कि महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण पेट्रोलियम उत्पादों का नियंत्रण किया जाना है तथा नई सरकार को इसे काबू में लाने के लिए थोड़ा समय दिया जाना चाहिये।

शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा कि इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि किसान अपने उत्पाद किस भाव में बेचता है और वही उत्पाद दुकान पर किस भाव में बिकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत नहीं मिलती।

भाकपा के एम पी अच्युतन ने कहा कि विगत दिनों में जनता महंगाई से भारी परेशान रही है लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की आर्थिक नीतियां वही हैं जो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की थी और मौजूदा सरकार भी संप्रग सरकार का विस्तार बन रह गई है।

कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने कहा कि इससे पहले बजट पेश होने से पूर्व रेलभाड़े में वृद्धि नहीं हुई थी और इसी मालभाड़े में वृद्धि के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि महंगाई बढ़ाने के लिए जिम्मेदार सरकार है जो इस बात से स्पष्ट है कि उसने रेल मालभाड़े में वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि रेल बजट से पहले मालभाड़े में वृद्धि करना संसद की अवमानना और अवहेलना है और सरकार अधिनायकवाद की ओर बढ़ रही है।

चर्चा में निर्दलीय राजीव चन्द्रशेखर, जदयू के सी त्यागी, सपा के विश्वंभर निषाद और भाजपा के विजय गोयल ने भी भाग लिया।

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