डब्ल्यूबीएचआरसी के प्रमुख पद से इस्‍तीफा दे सकते हैं एके गांगुली, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल पर सुनवाई आज
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डब्ल्यूबीएचआरसी के प्रमुख पद से इस्‍तीफा दे सकते हैं एके गांगुली, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल पर सुनवाई आज

लॉ इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।

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ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्ली/कोलकाता : लॉ इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। वहीं, कानून की इंटर्न के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने को कोई भी प्रयास करने से केंद्र सरकार को रोकने को लेकर शीर्ष अदालत में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को सुनवाई होगी।
पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने गांगुली की ओर से इस बारे में उन्हें लिखे जाने की खबर के बारे में पूछने पर कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली ने मुझसे टेलीफोन पर बात की और कहा कि वह इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं। सोराबजी ने बताया कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान न्यायमूर्ति ने कहा कि उनके बारे में कई तरह की बातें कही जा रही है और उनकी राय मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने गांगुली से कहा कि इस्तीफा देना बुद्धिमतापूर्ण निर्णय है।
न्यायमूर्ति गांगुली और सोराबजी के बीच चर्चा ऐसे समय में हुई है जब गुरूवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति की राय को उच्चतम न्यायालय के समक्ष भेजने को मंजूर दी थी।
गौर हो कि प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इस याचिका का दो दिन पहले उल्लेख किया गया। जिसके बाद न्यायालय ने इस याचिका पर 6 जनवरी को सुनवाई का तारीख निर्धारित की। यह याचिका दिल्ली निवासी एम पद्मा नारायण सिंह ने दायर की है जो पेशे से डाक्टर हैं। याचिका में उस शिकायत को भी निरस्त करने का अनुरोध किया गया है जिसके आधार पर शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीश की समिति ने कहा था कि माहिला इंटर्न के प्रति न्यायमूर्ति गांगुली का व्यवहार अशोभनीय था।
याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक भी है। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि गांगुली साजिश के शिकार हुए हैं क्योंकि वह कोलकाता के प्रमुख फुटबाल क्लब और आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन के बीच विवाद में आर्बीट्रेटर थे और इंटर्न ने भी इसमें हिस्सा लिया था। याचिका में अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह को भी प्रतिवादी बनाते हुए उन पर न्यायमूर्ति गांगुली को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कराने के सतत् प्रयास करने का आरोप लगाया है। याचिका में न्यायमूर्ति गांगुली को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग करने के कारण नेताओं की भी आलोचना की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि गांगुली का कृत्य यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि यौन उत्पीड़न कानून 2013 के तहत इस तरह की शिकायत तीन महीने के भीतर ही की जा सकती है लेकिन इस मामले में इसका अनुपालन नहीं किया गया है।
उधर, गांगुली ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल उस याचिका से दूरी बना ली जिसमें मांग की गई है कि गांगुली पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर उन्हें पद से हटाने के लिए केंद्र को कोई भी प्रयास करने से रोका जाए। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है। मैं यह भी नहीं जानता कि याचिका किसने दाखिल की है और क्यों की है। मैंने अखबारों में इस बारे में खबर देखी। न्यायमूर्ति गांगुली अपने खिलाफ आरोपों को खारिज कर चुके हैं।

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