नई दिल्ली : भारत-चीन शीर्ष स्तरीय वार्ता पर लद्दाख गतिरोध का साया बना रहा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमा पर लगातार हो रही घटनाओं के बारे में ‘गंभीर चिंता’ जताई तथा सीमा के सवाल का शीघ्र समाधान चाहा। चीन के सैनिकों और वहां के नागरिकों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की घटनाओं के परिदृश्य में भारत की यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बातचीत में प्रधानमंत्री ने उन्हें स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने संबंधी दोनों देशों के बीच हुए समझौते का ‘कड़ाई से पालन’ होना चाहिए।
कल अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे चीन के राष्ट्रपति की मेजबानी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने आज यहां उनके साथ शिखर बैठक की। सीमित और प्रतिनिधिमंडल स्तरीय, दोनों वार्ताएं मिलाकर लगभग तीन घंटे तक चलीं। इसमें निर्णय हुआ कि चीन अगले पांच साल में भारत में 20 अरब डालर का निवेश करेगा। लेकिन लगता है कि कल और आज की वार्ता मुख्यत: सीमा विवाद के इर्द-गिर्द घूमतीं रहीं जिसमें चुमार और डेमचॉक की घटनाएं शामिल हैं। कल अहमदबाद में भी मोदी ने इन मामलों को उठाया था, हालांकि सराकर ने उसे ‘शिष्टाचार वार्ता’ बताया है।
पूरा मामला रविवार को शुरू हुआ जब भारतीय सैनिकों ने चुमार इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीनी पक्ष के निर्माण गतिविधि में लगे होने का पता लगाया । सेना ने गतिविधि को रूकवा दिया और अपनी मौजूदगी बढ़ा दी। हांग ने राष्ट्रपति शी के दौरे को लेकर भारत में प्रकाशित उनके (शी) लेख का हवाला देते हुए कहा कि चीन और भारत के वर्तमान संबंधों का श्रेय उनके परस्पर सामरिक विश्वास एवं संवाद और साथ ही सहयोग के विस्तारित क्षेत्र एवं दोनों पक्षों के बीच परस्पर लाभप्रद सहयोग को जाता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन भारत से समुद्री रेशम मार्ग (एमएसआर) प्रस्ताव और प्राचीन रेशम मार्ग के पुनरूद्वार को मंजूरी देने की उम्मीद करता है, हांग ने कहा कि शी के दौरे में चीन और भारत को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम इसे लेकर भारत के साथ महत्वपूर्ण आम सहमति बनाने के लिए तत्पर हैं।’