गांगुली मुद्दे पर कानून मंत्रालय के साथ विमर्श शुरू

कानून की एक इंटर्न महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके गांगुली को पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया। चौतरफा मांग हो रही है कि गांगुली को उनके मौजूदा पद से हटाया जाए।

नई दिल्ली : कानून की एक इंटर्न महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके गांगुली को पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया। चौतरफा मांग हो रही है कि गांगुली को उनके मौजूदा पद से हटाया जाए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पिछले हफ्ते एक पत्र लिखकर गांगुली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। राष्ट्रपति द्वारा गृह मंत्रालय को ममता का लिखा यह पत्र भेजे जाने के बाद विचार-विमर्श का दौर शुरू हुआ है।
यदि कानूनी राय मिलती है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो सरकार उच्चतम न्यायालय से कह सकती है कि वह गांगुली के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करे और अपनी सिफारिशें दे। सरकार इस मुद्दे पर भी विचार करेगी कि क्या गांगुली के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। ममता ने गांगुली को पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है। गांगुली साल 2012 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत हुए थे। उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है। उच्चतम न्यायालय की जांच रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के आदेश से राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को उसके पद से हटाया जा सकता है। (एजेंसी)

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