मानव विकास सूचकांक में नहीं सुधरी भारत की स्थिति, 135वें पायदान पर

भारत 2013 में मानव विकास सूचकांक में उससे पिछले साल की ही तरह 135वें स्थान पर बना रहा जो इस बात का संकेत है कि देश को अपनी जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार के साथ उनके जीवनस्तर को ऊपर उठाने की दिशा में अभी लम्बा सफर तय करना है।

मानव विकास सूचकांक में नहीं सुधरी भारत की स्थिति, 135वें पायदान पर

नई दिल्ली : भारत 2013 में मानव विकास सूचकांक में उससे पिछले साल की ही तरह 135वें स्थान पर बना रहा जो इस बात का संकेत है कि देश को अपनी जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार के साथ उनके जीवनस्तर को ऊपर उठाने की दिशा में अभी लम्बा सफर तय करना है।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट (यूएनडीपी) में कहा गया है, ‘वर्ष 2013 के लिए भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.586 रहा - जो मानव विकास के मध्यम वर्ग में आता है - और 187 देशों की सूची में इस देश को 135वें स्थान पर रखा गया है। 1980 से 2013 के बीच भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.369 से सुधर कर 0.586 पर पहुंचा है।’ ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य सबसे कम है।

रिपोर्ट में कहा गया ‘भारत जीवन प्रत्याशा को छोड़कर मानव विकास सूचकांक की सभी कसौटियों में अन्य ब्रिक्स देशों की तुलना में सबसे नीचे है। एचआईवी-एड्स के कारण ब्रिक्स के बीच दक्षिण अफ्रीका में जीवन प्रत्याशा कम है।’ ब्रिक्स देशों के बीच रूस ब्राजील और चीन उच्च मानव विकास सूचकांक वर्ग में क्रमश: 57वें ,79वें और 91वें स्थान पर हैं। दक्षिण अफ्रीका 118वें और 135वें स्थान के साथ मध्यम वर्ग में है।

मानव विकास सूचकांक किसी देश के मानव जीवन के तीन मुख्य आयामों में दीर्घकालिक प्रगति की रिपोर्ट होता है। इसमें लंबा एवं स्वस्थ जीवन, शिक्षा सुविधा और अच्छा जीवन स्तर। 2013 में 2012 और 2011 की ही तरह अध्ययन में 187 देश शामिल किए गए थे।

पिछले साल 15 नवंबर तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि सूची में एक साल के अंदर कुछ देशों का स्थान बदला है।

रिपोर्ट में भारत के पड़ोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमश: 142वें और 146वें स्थान पर हैं। स्त्री-पुरुष के बीच असमानता संबंधी सूचकांक के लिहाज से भारत 152 देशों में 127वें स्थान पर रहा।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 10.9 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं और 26.6 प्रतिशत वयस्क महिलाएं माध्यमिक शिक्षा प्राप्त हैं जबकि इस स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुषों का अनुपात 50.4 प्रतिशत है। भारत में श्रम बाजार में स्त्रियों की भागीदारी 28.8 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की हिस्सेदारी 80.9 प्रतिशत है।

बहु आयामी गरीबी के सूचकांक के अनुसार भारत की 55.3 प्रतिशत आबादी बहु-आयामी रूप से गरीब है जबकि 18.2 प्रतिशत लोग बहु-आयामी गरीबी के आस-पास हैं। बहुआयामी गरीबी किसी परिवार में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर, इन विविध आयामों की दृष्टि से विपन्नता का सूचक है।

एक नया सूचकांक, स्त्री-पुरुष विकास सूचकांक (जीडीआई) पेश किया गया है जो मानव विकास सूचकाक में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के विकास का अनुपात है। 2013 के दौरान भारत में महिला मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.519 और पुरुष मानव विकास सूचकांक 0.627 रहा। कुल 148 देशों में जीडीआई का आकलन किया गया है।

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