जानिये, क्या है धारा-370
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जानिये, क्या है धारा-370

नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के एक बयान के बाद धारा-370 एक बार फिर सुर्खियों में है। उनके इस बयान से भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक बार फिर चर्चा में है। पहले से ही विवादों में रहा यह धारा ‌एक बार इंटरनेट में हिट की-वर्ड हो गया।

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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के एक बयान के बाद धारा-370 एक बार फिर सुर्खियों में है। उनके इस बयान से भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक बार फिर चर्चा में है। पहले से ही विवादों में रहा यह धारा ‌एक बार इंटरनेट में हिट की-वर्ड हो गया।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक `अस्‍थायी प्रबंध` के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है। भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत, जम्मू और कश्मीर को यह `अस्‍थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध` वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है। भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।
जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था। शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था। तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए कभी ना टूटने वाली, `लोहे की तरह स्वायत्ता` की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।
इस धारा के मुताबिक रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है। राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।
अनुच्छेद 370 की वजह से ही केंद्र राज्य पर आर्थिक आपातकाल (अनुच्छेद 360) जैसा कोई भी कानून राज्य पर नहीं थोप सकता है। केंद्र राज्य पर युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामले में ही आपातकाल लगा सकता है। केंद्र सरकार राज्य के अंदर की गड़बड़ियों के कारण इमरजेंसी नहीं लगा सकता है, उसे ऐसा करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
हालांकि धारा 370 में समय के साथ-साथ कई बदलाव भी किए गए हैं। 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था। उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री हुआ करता था जिसे बाद में बदला गया। इसके अलावा पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिक जाता तो उसे अपना साथ पहचान-पत्र रखना जरूरी थी। जिसका बाद में काफी विरोध हुआ। विरोध होने के बाद इस प्रावधान को हटा दिया गया।

क्या हैं अधिकार
- भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- वित्तीय आपातकाल लगाने वाली धारा 360 भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती।
- जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा है।
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर में रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा कोई अन्य कानून नहीं बना सकती।
- धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं।
- कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहरी से शादी करती है तो उसकी कश्मीर की नागरिकता छिन जाती है।
- जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन नहीं लग सकता है।

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