अफजल की मौत के वारंट को सार्वजनिक किया जाए : सीआईसी

केंद्रीय सूचना आयोग ने देश के सबसे बड़े जेल तिहाड़ को निर्देश दिया है कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की मौत के वारंट को सार्वजनिक किया जाए। साथ ही उसे फांसी पर चढ़ाने की तारीख के बारे में उसके परिवार को भेजी गई सूचना की प्रतियों को भी सार्वजनिक किया जाए।

नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग ने देश के सबसे बड़े जेल तिहाड़ को निर्देश दिया है कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की मौत के वारंट को सार्वजनिक किया जाए। साथ ही उसे फांसी पर चढ़ाने की तारीख के बारे में उसके परिवार को भेजी गई सूचना की प्रतियों को भी सार्वजनिक किया जाए।

संसद पर दिसम्बर 2001 को हुए आतंकी हमले में भूमिका निभाने के लिए 34 वर्षीय मोहम्मद अफजल गुरु को सजा सुनाई गई थी और उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी पर लटका दिया गया था। सूचना आयुक्त एम. श्रीधर आचायरुलू ने एक कड़े आदेश में कहा कि किसी भी आरटीआई आवेदन (इस मामले में अफजल गुरु की फांसी का ब्यौरा) को बिना विचार किए और इस बारे में कारण बताए बगैर धारा 8 के तहत सीधे-सीधे खारिज नहीं किया जा सकता।

आयोग ने तिहाड़ के अधिकारियों को निर्देश दिया कि आरटीआई आवेदक पारस नाथ सिंह को गुरु को फांसी पर लटकाने के मौत के वारंट की सत्यापित प्रति मुहैया कराई जाए।
मामला सिंह के आवेदन से संबंधित है जिसमें गुरू की फांसी को लेकर मौत के वारंट एवं वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग की गई है। तिहाड़ के अधिकारियों ने यह कहते हुए कोई भी सूचना देने से इंकार कर दिया कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा होगा।

श्रीधर ने कहा, ‘आयोग ने पाया कि इस आरटीआई आवेदन को बिना विचार किए और हर बिंदु की जांच-परख किए बगैर खारिज कर दिया गया। धारा 10 के तहत सूचना देने और उसकी गंभीरता को देखते हुए नहीं देने के बीच फर्क नहीं किया गया।’ उन्होंने कहा कि सीपीआईओ और तिहाड़ के प्रथम अपीली प्राधिकार ने आरटीआई अधिनियम की धारा आठ (एक) (ए) के तहत छूट के दावे का कोई कारण नहीं बताया।

उन्होंने कहा, ‘आयोग का सुझाव है कि लोक प्राधिकार, उनके सीपीआईओ और अपीलीय प्राधिकार को आरटीआई आवेदनों को बिना किसी कारण बताए छूट का दावा करते हुए सीधे-सीधे खारिज करने से बचना चाहिए जो आवेदक को आयोग का दरवाजा खटखटाने को बाध्य करता है।’

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