बाढ़ से बेहाल जम्‍मू-कश्‍मीर; सेना-एनडीआरएफ ने तेज किए बचाव व राहत कार्य, 23000 से अधिक लोग बचाए गए
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बाढ़ से बेहाल जम्‍मू-कश्‍मीर; सेना-एनडीआरएफ ने तेज किए बचाव व राहत कार्य, 23000 से अधिक लोग बचाए गए

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ को लेकर स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है और बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए जबर्दस्त राहत एवं बचाव अभियान जारी है। पानी के सैलाब से उत्पन्न गंभीर स्थिति बरकरार है और श्रीनगर के अधिकतर हिस्से अब भी जलमग्न हैं।

बाढ़ से बेहाल जम्‍मू-कश्‍मीर; सेना-एनडीआरएफ ने तेज किए बचाव व राहत कार्य, 23000 से अधिक लोग बचाए गए

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

जम्‍मू/नई दिल्‍ली : जम्मू-कश्मीर में बाढ़ को लेकर स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है और बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए जबर्दस्त राहत एवं बचाव अभियान जारी है। पानी के सैलाब से उत्पन्न गंभीर स्थिति बरकरार है और श्रीनगर के अधिकतर हिस्से अब भी जलमग्न हैं। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में अब भी हजारों लोग फंसे हैं। बचावकर्मियों ने जम्मू कश्मीर में आई भीषण बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए। इस बीच, बाढ़ में मरने वालों की तादाद 200 के करीब पहुंच गई है।

बाढ़ से मची तबाही के बीच एनडीआरएफ, सेना ने मिलकर अब तक करीब 23 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। मौसम खराब होने की वजह से राहत कार्य में जुटे लोगों को भी खासी परेशानियां हो रही हैं। नेवी के कमांडो ने भी बचाव अभियान में मोर्चा संभाल लिया है। उधर, जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के हालात पर मंगलवार को कैबिनेट सचिव ने एक बैठक बुलाई है जो राहत कार्यों और बाढ़ की स्थिति पर चर्चा करेगी।

संचार व्यवस्था अब भी लड़खड़ाई हुई है और पानी का ऊंचा स्तर एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारी बाढ़ के कारण कश्मीर घाटी में दूरसंचार नेटवर्क ध्वस्त हो गया है और सरकारी स्वामित्व वाले बीएसएनएल ने सेना और आईएएफ के साथ मोबाइल सेवा बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर अभियान शुरू किया है।

श्रीनगर के जलमग्न क्षेत्रों में लोगों को बाहर निकालने के लिए दर्जनों नौकाएं लगाई गई हैं। भीषण बाढ़ का सामना कर रहे राज्य में अब तक हजारों लोगों को बाहर निकाला जा चुका है। बाढ़ से अब तक करीब 200 लोगों की जान जा चुकी है और अस्पतालों सहित कई इमारतें नष्ट हो चुकी हैं तथा सड़कों के जलमग्न होने और संचार व्यवस्था लड़खड़ा जाने से बहुत से इलाकों से संपर्क टूट गया है। श्रीनगर में सैन्य छावनी, सिविल सचिवालय और उच्च न्यायालय परिसरों में भी पानी भर गया है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के मुखिया ओपी सिंह ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि हमारे सामने बड़ी समस्या यह है कि संचार व्यवस्था टूट गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हमारी टीमों से हमारा संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके अतिरिक्त, कई इलाकों में पानी का स्तर काफी ज्यादा है जहां हमारे कर्मी फंसे लोगों तक पहुंचने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

मौसम की स्थिति में सुधार के साथ सेना जम्मू कश्मीर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियानों को और तेज करेगी। इस दौरान सेना श्रीनगर शहर और दक्षिण कश्मीर पर ध्यान केंद्रित करेगी जहां बड़ी संख्या में लोग बिना किसी बुनियादी सुविधा के अपने घरों में फंसे हुए हैं। ऑपरेशन ‘मेघ राहत’ में सैनिकों के समक्ष कई चुनौतियां होने पर गौर करते हुए उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने आज कहा कि वे उन लोगों तक यथाशीघ्र पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो सर्वाधिक संकट में है। हालांकि, मदद की पुकार करते हुए उनके पास हजारों संदेश आए हैं।

उधमपुर स्थित मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा कि जम्मू में हालात सामान्य की ओर बढ़ रहा है और जम्मू के आस-पास अन्य क्षेत्रों की ओर जाने वाली सड़कों को अगले 48 घंटे के भीतर बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसा मैंने कहा कि अगले 48 घंटे के लिए हमारा ध्यान श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर पर केंद्रित रहेगा क्योंकि वहां अब भी बिना भोजन और पानी के बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द से जल्द वहां से निकालने का हमारा विचार है। हम तब तक ऑपरेशन मेघ राहत जारी रखेंगे जब तक कि प्रत्येक व्यक्ति को इस स्थिति से बाहर नहीं निकाल लें। हुड्डा ने यह भी कहा कि सेना ने पिछले छह दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ में क्षतिग्रस्त सीमा पर घेरों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है क्योंकि उसे आशंका है कि आतंकवादी राज्य में घुसपैठ करने के लिए इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं। इसलिए हमने इन क्षेत्रों में सेना की उपस्थिति को मजबूत बनाया है। मरम्मत करने का काम शुरू हो गया है। हम इसे बड़ी तेजी से करेंगे।

दक्षिण कश्मीर में राहत और बचाव अभियानों में विलंब के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे खराब मौसम के कारण प्रभावित हुए हैं क्योंकि घाटी में तकरीबन पांच दिनों तक मूसलाधार बारिश होती रही। उन्होंने कहा कि किसी ने भी नहीं सोचा कि इतने लंबे समय तक वर्षा होगी और पानी की तेज धारा ने श्रीनगर और बनिहाल में सेना की नौकाओं का संपर्क काट दिया।

सरकार ने राहत और बचाव कार्य के मद्देनजर दिल्‍ली, जम्‍मू और श्रीनगर में कंट्रोल रूम को स्‍थापित किया है। जिसके हेल्‍पलाइन नंबर नीचे दिए गए हैं।

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