तिरंगा फहराने के नियम कायदों से अनजान हैं अधिकांश देशवासी

लोगों को अब तिरंगा भले ही घर, दफ्तर और कार में लगाने की अनुमति मिल गई है लेकिन फिर भी अभी तक अधिकतर लोगों को तिरंगा लगाने के नियम कायदों की जानकारी नहीं हैं।

तिरंगा फहराने के नियम कायदों से अनजान हैं अधिकांश देशवासी

नई दिल्ली : लोगों को अब तिरंगा भले ही घर, दफ्तर और कार में लगाने की अनुमति मिल गई है लेकिन फिर भी अभी तक अधिकतर लोगों को तिरंगा लगाने के नियम कायदों की जानकारी नहीं हैं।

पंद्रह अगस्त पर 68 वें स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर जहां अपनी प्रोफाइल पिक्चर के रूप में तिरंगे को लगा रहें हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह से तिरंगे का इस्तेमाल करना कानून के दायरे में आता है। पुराने कानूनों को सम्मिलित करते हुए सन् 2002 से प्रभाव में आए ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के रूप में आम जनता को सालभर तिरंगा फहराने का नया मौलिक अधिकार मिला लेकिन इसे फहराने के कुछ नियम कायदे भी निर्धारित किए गए हैं।

कोड के अनुसार खुले में कहीं पर भी फहराया जाने वाला झंडा सुबह से शाम तक ही फहराया जा सकता है। इस नियम से छूट सिर्फ प्रतीकात्मक झंडों को मिली है जैसा कि दिल्ली के कनॉट प्लेस में लगाया गया है। इनको भी रात में फहराने की अनुमति तब ही मिलती है जब झंडे के आसपास उचित प्रकाश की व्यवस्था हो। कनॉट प्लेस के झंडे का रखरखाव करने वाले फ्लैग फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कमांडर केवी सिंह ने बताया कि राजीव चौक पर लगे झंडे के रखरखाव पर हर महीने 60,000 रुपये खर्च होते हैं। झंडे के आस-पास सीसीटीवी और सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं और आठ फ्लड लाइटों से रोशनी की व्यवस्था की गई है ताकि 207 फुट उंचा झंडा रात में भी प्रकाशमान हो। अगर झंडा फट जाता है या गंदा हो जाता है तो उसे बदला जाता है।

उच्चतम न्यायालय में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि भारतीय तिरंगे को पूर्ण सम्मान के साथ फहराना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है। अस्त व्यस्त और क्षतिग्रस्त झंडे को प्रदर्शित नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुपालन में कमी होगी। इसकी वजह से जेल भी हो सकती है जिसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर आमतौर पर कई तरह से झंडा फहराया जाता है जैसे कि बच्चे कागज पर तिरंगे का चित्र बनाते हैं। फ्लैग कोड में झंडे के निस्तारीकरण करने के बारे में भी स्पष्ट नियम बनाए गए हैं और प्लास्टिक जैसे पदाथरें से झंडा बनाने की मनाही है।

तेइस जनवरी 2004 को उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के मुताबिक लोगों को कार के अंदर भी झंडे की छोटी प्रतिकृति लगाने का अधिकार दिया गया और झंडे को फहराना एक नया मौलिक अधिकार बना। हालांकि कार के बोनट पर तिरंगा लगाने की अनुमति कुछ विशेष लोगों को ही है। सोशल मीडिया पर फेसबुक पर तिरंगे को प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगाने को लेकर लोगों में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा अपूर्वा शिवम ने बताया कि उन्‍हें व्हाट्सएप पर एक संदेश प्राप्त हुआ था कि तिरंगे को प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगाना गैर कानूनी है। उन्हें यह स्पष्ट नहीं था कि यह सही है या नहीं लेकिन उन्होंने अपने उन दोस्तों को यह संदेश भेज दिया जिन्होंने ध्वज को प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगाया था।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे अधिवक्ता खगेश झा ने बताया कि भारतीय झंडे को प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगाना भारतीय कानून के हिसाब से अपराध नहीं है।

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