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ज़ी मीडिया ब्यूरो
मुंबई: बीते कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी और उसके सबसे पुराने सहयोगी दल शिवसेना के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को पार्टी के मुख्य पत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि भाजपा अपने सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ अच्छा बर्ताव नहीं कर रही है।
शिवसेना ने लालकृष्ण आडवाणी के टिकट संबंधी मामले पर भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए आज प्रश्न किया कि पार्टी ने उनकी लोकसभा सीट की उम्मीदवारी का निर्णय लेने में इतना समय क्यों लिया? शिवसेना ने साथ ही कहा कि हालांकि नरेंद्र मोदी का युग शुरू हो गया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आडवाणी युग समाप्त हो गया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, आडवाणी का नाम भाजपा के लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची में होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसने पार्टी को बनाया और उसे प्रतिष्ठा दिलाई, वह इंतजार करता रहा। उन्होंने शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा, भाजपा को आडवाणी की निर्वाचन सीट पर निर्णय लेने में इतना समय क्यों लगा? ऐसा करना अपमान है। उद्धव ने आडवाणी के साथ अनुचित व्यवहार करने के लिए भाजपा को निशाना बनाते हुए कहा, नरेंद्र मोदी का युग शुरू हो गया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह आडवाणी युग का अंत है। उन्होंने कहा कि भाजपा के इस दिग्गज के राजनीतिक चरित्र पर कोई दाग नहीं है।
उद्धव ठाकरे का यह बयान ऐसे समय आया है जब गत गुरुवार को आडवाणी ने कहा था कि उन्होंने गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी समेत पार्टी नेताओं द्वारा मनाए जाने के बाद और यह बताए जाने के बाद निर्णय लिया कि उन्हें गुजरात और भोपाल दोनों सीटों के बीच चयन करने का अधिकार है।
उद्धव ठाकरे ने कहा, मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से लड़ने के लिए कहा गया ताकि मोदी वाराणसी से खड़े हो सकें। राजनाथ ने गाजियाबाद के बजाए लखनऊ की सुरक्षित सीट चुनी। नवजोत सिंह सिद्धू को हटाकर जेटली को अमृतसर से खड़ा किया गया। तो फिर आडवाणी के मामले में इतनी देर क्यों की गई। उन्होंने कहा, दिग्गज नेता का आमजन के साथ संबंध अब भी वैसा ही है। मौजूदा राजनीतिक विवादों की तुलना में आडवाणी प्रकरण तुच्छ महसूस हो सकता है लेकिन यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि ऐसी छोटी घटनाओं के जरिए बड़े हादसे हो सकते हैं।
उद्धव ठाकरे ने कहा, समय बीत जाने के बाद किसी बात को समझने का कोई फायदा नहीं है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे से मुलाकात के बाद शिव सेना और भाजपा के बीच पैदा हुई दरार के बीच उद्धव का यह तीखा बयान आया है। शिवसेना ने उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली से अपने उम्मीदवार खड़े करने के अपने निर्णय की कल घोषणा की थी।