नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को बताया कि रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सिलसिले में दूसरे देशों के साथ कोई करार नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया भारत और रूस के बीच फरवरी 1998 में एक अंतर.सरकारी करार पर हस्ताक्षर हुए थे जिसके तहत भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम (ज्वाइंट वेंचर) कंपनी ‘ब्रहमोस एयरोस्पेस’ बनाई गई।
उन्होंने नाजनीन फारूक के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वर्तमान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार, सरकारी प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस की शर्त पर रक्षा क्षेत्र में 26 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। बहरहाल, जेटली ने कहा कि वर्ष 2014..15 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई है कि रक्षा क्षेत्र के लिए एफआईपीबी रूट के जरिये पूर्ण भारतीय प्रबंधन एवं नियंत्रण के साथ ही विदेशी मुद्रा की संयुक्त सीमा (कंपोजिट कैप) को 49 फीसदी तक बढ़ाया जा रहा है।