अशोक चव्हाण के खिलाफ चुनाव आयोग के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए कारण बताओ नोटिस पर रोक लगायी। गौर हो कि चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस दिया था कि वर्ष 2009 के चुनाव खर्च का सही ब्यौरा नहीं देने के लिए क्यों नहीं उन्हें अयोग्य करार दे दिया जाए। चव्हाण के खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराने वाले भाजपा नेताओं मुख्तार अब्बास नकवी , किरीट सोमैय्या तथा एक निर्दलीय विधायक को भी अदालत ने नोटिस जारी किए ।

अशोक चव्हाण के खिलाफ चुनाव आयोग के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग द्वारा पूर्व महाराष्ट्र मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को जारी कारण बताओ नोटिस पर आज रोक लगा दी। इस मामले में आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा था कि 2009 विधानसभा चुनाव में हुए अपने चुनाव खर्च का सही सही ब्योरा नहीं देने पर उन्हें क्यों नहीं अयोग्य करार दिया जाए।

आयोग ने 13 जुलाई 2014 के अपने आदेश में नांदेड से सांसद चव्हाण को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 20 दिन की समय दिया था। चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री को जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत ठीक तरह से अपने चुनाव खर्च का लेखा जोखा पेश करने में विफल रहने का दोषी पाया था जिसके बाद यह नोटिस जारी किया गया।

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने आयोग में चव्हाण के खिलाफ शिकायत करने वाले भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी और किरिट सोमैया तथा उम्मीदवार माधवराव किनहालकर को भी नोटिस जारी किये। अदालत ने शिकायतकर्ताओं को नोटिस करते हुए इन्हें 5 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने अगले आदेश तक के लिए 13 जुलाई 2014 के आयोग के आदेश पर रोक लगा दी है।

अदालत ने शिकायतकर्ताओं में से एक की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील जयंत भूषण की यह दलील मानने से इनकार कर दिया कि चुनाव आयोग के आदेश पर स्थगन नहीं लगाया जा सकता क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय के 5 मई 2014 के आदेश के खिलाफ जाएगा जिसमें निर्देश दिया गया था कि चव्हाण से संबंधित शिकायत को 45 दिन के अंदर निबटाया जाए। न्यायमूर्ति कैत ने कहा कि वह इसे न्यायोचित ठहरायेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 45 दिन के अंदर अपना आदेश पारित नहीं किया। कार्यवाही के दौरान, चव्हाण की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने चुनाव खर्च का सही विवरण दाखिल किया था और 2009 विधानसभा चुनाव में उनका चुनावी खर्च 6.85 लाख रूपये था।

चव्हाण ने अभिमन्यु भंडारी के मार्फत दायर अपनी याचिका में चुनाव आयोग के 13 जुलाई के आदेश को उस हद तक निरस्त करने का आग्रह किया है जिसमें कहा गया है कि चव्हाण कानून के तहत आवश्यक सही समय और सही तरीके से चुनाव खर्च का लेखा जोखा पेश करने में विफल रहे। उन्होंने कारण बताओ नोटिस भी खारिज करने का आग्रह किया है। चव्हाण ने दलील दी है कि आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत तय प्रक्रिया पर अमल नहीं किया है और निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उन्हें संशोधित चुनाव खर्च दाखिल करने का कोई अवसर नहीं दिया गया है।

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