ज़ी मीडिया ब्यूरो/रामानुज सिंह
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (बुधवार) डीआरडीओ के एक पुरस्कार समारोह में अपने संबोधन में कहा, समय की मांग है। हम समय से आगे रहें। विश्व हमारे लिए प्रतीक्षा नहीं करेगा। इसलिए हम जो भी करें, हम उसे समय से पहले करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक परियोजना की परिकल्पना 1992 में की जाए और 2014 में हम कहें कि यह अभी और समय लेगा। विश्व आगे निकल जाएगा।
कई बड़ी परियोजनाओं के विलंब के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री ने रक्षा विकास एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) से कहा कि वह अपने कार्यक्रमों को समय से पूरा करने में तेजी दिखाए ताकि विश्व की रफ्तार के साथ कदम मिलाया जा सके। देश की एकमात्र रक्षा अनुसंधान एजेंसी से उन्होंने युवाओं को अधिक अवसर देने का आग्रह करने के साथ कहा कि डीआरडीओ को ऐसी परियोजनाओं को शुरू करना चाहिए जिससे सशस्त्र बलों के कर्मियों का जीवन आसान हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा, रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी इतनी तेजी से बदल रही है कि इससे पहले कि हम किसी प्रणाली के बारे में संकल्पना करें, उससे दो कदम आगे के उत्पाद बाजार में आ जाते हैं और हम पीछे छूट जाते हैं।
मोदी ने कहा, इसलिए भारत के सामने चुनौती यह है कि हम समय से पहले काम पूरा कैसे करें। अगर विश्व किसी उत्पाद को 2020 में लाने वाला है तो, क्या हम 2018 में उसे लेकर आ सकते हैं? उन्होंने कहा, डीआरडीओ को यह तय करना होगा कि वह स्थिति पर प्रतिक्रिया देगा या वह प्रोएक्टिव होकर विश्व के लिए एजेंडा तय करेगा। हमें विश्व के लिए एजेंडा तय करना होगा.. हम दूसरे का अनुसरण करके नहीं, बल्कि एजेंडा तय करके विश्व लीडर बन सकते हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि भारत में प्रतिभाओं की कमी है, बल्कि, मेरा मानना है कि यहां ‘चलता है’ वाला रवैया है। डीआरडीओ की कई परियोजनाएं निर्धारित समय से बहुत पीछे चल रही हैं। इनमें तेजस नामक हल्के लड़ाकू विमान, नाग मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाले लंबी दूरी के मिसाइल और हवाई पूर्व चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली शामिल हैं। विलंब के चलते इनकी लागत में भी बहुत बढ़ोत्तरी हो रही है।
मोदी ने अपनी सरकार और डीआरडीओ के बीच तुलना करते हुए कहा, लोग कहेंगे कि मोदीजी, हमें आपकी सरकार से बहुत उम्मीदें और अपेक्षाएं हैं। लोगों को उन लोगों से ही उम्मीद होगी जो काम करते हैं। उन्हें उनसे उम्मीदें नहीं होंगी जो कुछ नहीं करते। मुझे डीआरडीओ से उम्मीदें हैं, क्योंकि मैं जानता हूं कि डीआरडीओ में कर दिखाने की क्षमता है।
युवाओं को अधिक जिम्मेदारी देने का आहवान करते हुए प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ से आग्रह किया कि उसकी 52 प्रयोगशालाओं में से 5 में केवल 35 साल से कम उम्र के लोग हों और अंतिम निर्णय करने का अधिकार भी उन्हीं के पास हो। उन्होंने कहा, युवाओं को अवसर देने के लिए साहसिक कदम उठाएं। हम उनसे कहेंगे कि विश्व आगे जा रहा है, आप हमें रास्ता दिखाएं। युवा बहुत ही क्षमतावान हैं और वे करके दिखा सकते हैं। हमने कई जोखिम लिए हैं, आईए एक और जोखिम लीजिए। ताजा हवा की जरूरत है और इससे हम सबको लाभ होगा।
डीआरडीओ से मोदी ने कहा कि वह ऐसी व्यवस्था बनाए जिसमें उत्पादों को विकसित करने का विचार सशस्त्र बलों से लिया जाए, क्योंकि वे ही उन्हें इस्तेमाल करेंगे। एक सैनिक रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के लिए कई व्यहारिक नवाचारों के सुझाव दे सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि डीआरडीओ रक्षा क्षेत्र के लिए कार्य कर रहे ऐसे लोगों को भी पुरस्कार देने की व्यवस्था करे जिनका इस संगठन से कोई नाता नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने डीआरडीओ के कई वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया।
समारोह में उपस्थित रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए डीआरडीओ बड़े पैमाने पर प्रतिभाओं को पेश करता है लेकिन भारत के अशांत पड़ोस को देखते हुए यह संख्या कम ही है। जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और देश को सुरक्षा मुहैया कराने में प्रौद्योगिकी सबसे बड़ी गारंटी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले पांच दशकों में डीआडीओ ने अग्नि-5 मिसाइल, आईएनएस अरिहंत परमाणु पनडुब्बी और कई अन्य प्रणालियों के रूप में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चन्द्र ने संगठन में युवाओं के कम आने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हर साल औसतन केवल 70 युवा वैज्ञानिक इसमें शामिल होते हैं।