हनोई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रविवार को चार दिवसीय सरकारी यात्रा पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वियतनाम पहुंचे। इस यात्रा के दौरान वह वियतनाम के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत करेंगे और दोनों देश तेल की खोज तथा हवाई संपर्क के क्षेत्र में समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।
मुखर्जी का नोई बाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विदेश मामलों के उप-मंत्री तथा राष्ट्रपति कार्यालय के चेयरमैन दाओ विएट त्रुंग समेत वियतनाम सरकार के अन्य अधिकारी एवं यहां भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने स्वागत किया। राष्ट्रपति को सैनिक सलामी भी दी गयी।
राष्ट्रपति की इस यात्रा में आधिकारिक बातचीत सोमवार से शुरू होगी। वह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर वियतनाम के राष्ट्रपति त्रुओंग तान सांग तथा प्रधानमंत्री नगुएन तान दुंग के साथ चर्चा करेंगे। यात्रा के दौरान मुखर्जी ऐतिहासिक शहर हो ची मिन्ह भी जाएंगे।
इस यात्रा से पहले, मुखर्जी ने सुरक्षा और रक्षा को दोनों देशों के बीच सहयोग के दो ‘बड़े स्तंभ’ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी राय में इन दोनों क्षेत्रों में बहुत संभावनाएं हैं और दोनों देश अन्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ इस दिशा में मिल कर काम कर रहे हैं।
इस यात्रा के दौरान भारत और वियतनाम के बीच कई करार पर हस्ताक्षर किए जाएंगे जिनमें भारत के ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और पेट्रो वियतनाम कंपनियों के बीच दक्षिण चीन सागर के प्रखंडों में तेल की खोज संबंधी करार शामिल है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान राष्ट्रपति के साथ आये प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं।
विशेषज्ञों को लगता है कि विवादित दक्षिण चीन सागर में तेल की खोज के लिए भारत को आमंत्रित करने का वियतनाम का कदम क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सुंतलित करने के लिए है।