जस्टिस गांगुली पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बढ़ा

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लागाने वाली विधि की इंटर्न छात्रा के एक हलफनामे के उद्धरणों को अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने एक असमान्य कदम उठाते हुए आज सार्वजनिक कर दिया, जिससे पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग पद से पूर्व न्यायाधीश के इस्तीफे की मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है।

नई दिल्ली/कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लागाने वाली विधि की इंटर्न छात्रा के एक हलफनामे के उद्धरणों को अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने एक असमान्य कदम उठाते हुए आज सार्वजनिक कर दिया, जिससे पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग पद से पूर्व न्यायाधीश के इस्तीफे की मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है।
उधर, कोलकाता में वकीलों और महिलाओं के एक समूह ने आज उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली का पुतला दहन किया और उनके कार्यालय के बाहर धरना पर बैठकर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की, मानव श्रृंखला बनाई और न्यायमूर्ति गांगुली का पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारी अलीपुर में भवानी भवन स्थित डब्ल्यूबीएचआरसी के कार्यालय के बाहर चार घंटे से अधिक समय तक धरना पर बैठे। ऑल इंडिया लीगल एड फोरम के सचिव जयदीप मुखर्जी ने कहा कि जब तक गांगुली इस्तीफा नहीं देते तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति को दिए अपने हलफनामे में इंटर्न छात्रा ने अपने आरोप की छानबीन करने को कहा था। उसने आरोप लगाया है कि न्यायमूर्ति गांगुली ने पिछले साल 24 दिसंबर को एक होटल के कमरे में उसका उस वक्त यौन उत्पीड़न किया जब वह उनके काम में सहायता करने के लिए वहां गई थी। इंटर्न ने उनके बर्ताव के बारे में इसमें विस्तार से बताया है।
हालांकि, न्यायमूर्ति गांगुली ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने आज सवाल किया कि एक गोपनीय बयान सार्वजनिक कैसे किया जा सकता है। इंटर्न के हलफनामे को जयसिंह द्वारा सार्वजनिक किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कोलकाता में कहा कि इसे गोपनीय माना जा रहा है क्योंकि इसे उच्चतम न्यायालय की एक समिति को दिया गया। यह सार्वजनिक कैसे किया जा सकता है? यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस मुद्दे पर एक शिकायत दर्ज कराएंगे, उन्होंने कहा कि मैं क्या कर सकता हूं? मेरी कौन सुनता है?
एएसजे ने कहा कि उन्होंने इंटर्न के पूर्ण समर्थन से उद्धरणों को सार्वजनिक किया है और यदि न्यायमूर्ति गांगुली इस्तीफा देने से इनकार करते हैं तो राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पद से हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि वह बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहेंगी कि वह जो कुछ भी कर रही हैं, उसके (इंटर्न) के पूरे सहयोग से कर रही हूं और उसे अवगत रख रही हूं तथा जब तक उसका पूरा सहयोग नहीं होगा वह इस तरह से किसी दस्तावेज को कभी सार्वजनिक नहीं करूंगी। न्यायमूर्ति गांगुली पर आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बढ़ने के बीच विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्विटर पर कहा है कि वह इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि शीर्ष न्यायालय मुद्दे के निपटारे के लिए कब आगे आता है।
विधि मंत्री ने कहा कि हमारा विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय महिलाओं की सुरक्षा के लिए यथासंभव सख्त कार्रवाई करेगा, चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो, वह उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त नयायाधीश हो या कोई और।’’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की समिति की रिपोर्ट के आधार पर एक अपराध को अंजाम दिया गया होगा। जेटली ने फेसबुक पर कहा है कि यदि वह (गांगुली) अपना पद छोड़ते हैं तो वह सिर्फ उस पद (राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष) की मर्यादा रखेंगे जिस पर वह आसीन हैं। अपने पद पर बने रहने का फैसला सिर्फ यह साबित करता है कि ज्यादातर राजनीतिक पदों की तरह न्यायाधीश भी अपने पद पर तब तक बने रहना चाहते हैं जब तक कि प्रबल जनमत उन्हें पद से जबरन हटा ना दे।
इंटर्न ने शीर्ष न्यायालय की समिति को अपना बयान देने के अलावा उसे गवाहों का हलफनामा भी दिया है, जिनके साथ उसने घटना के फौरन बाद बात की थी। समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली के बयान की वीडियो रिकार्डिंग की है जिसमें उन्होंने किसी तरह का यौन उत्पीड़न करने की बात से इनकार किया था। समिति ने इंटर्न के मौखिक और लिखित बयान से ली मेरेडियन होटल में रात आठ बजे से लेकर साढ़े 10 बजे के बीच प्रथम दृष्टया एक अवांछित बर्ताव होने का खुलासा होने की बात मानी। अपने हलफनामे में इंटर्न ने कहा कि न्यायाधीश ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन से जुड़ी एक रिपोर्ट पूरी करने के लिए क्रिसमस की पूर्व संध्या पर उसे होटल के कमरे में बुलाया।
एएसजे ने इंटर्न के बयान का हवाला देते हुए कहा कि न्यायाधीश ने मुझसे कहा था कि फेडरेशन की रिपोर्ट अगले दिन सौंपी जानी है और मुझे होटल में रूकने तथा सारी रात काम करने को कहा। मैंने इनकार कर दिया और उनसे कहा कि मैं शीघ्रता से काम खत्म कर अपने पेइंग गेस्ट निवास लौट जाऊंगी। इंटर्न ने बताया कि न्यायाधीश ने शराब (रेड वाइन) की एक बोतल निकाली। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मुझे आज काफी काम करना पड़ा है इसलिए मुझे उनके शयनकक्ष में जाना चाहिए और कुछ शराब पीकर आराम करना चाहिए। उसने बताया कि उसने न्यायाधीश के सुझाव पर असहजता और परेशानी महसूस की।
इंटर्न ने बताया कि न्यायाधीश ने उससे कहा कि तुम खबूसूरत हो। इस पर मैं अपनी सीट से फौरन उठ गई, लेकिन इससे पहले कि मैं उनकी बातों का जवाब दे पाती उन्होंने मेरी बांह पकड़ कर कहा कि तुम जानती हो कि मैं तुम पर फिदा हूं, क्या तुम्हें नहीं लगता, लेकिन मैं सचमुच तुम्हें पसंद करता हूं, मैं तुमसे प्यार करता हूं। जब मैंने वहां से हटना चाहा, उन्होंने मेरे हाथ चूम लिए और फिर से कहा कि वह मुझसे प्यार करते हैं। एएसजे ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि न्यायाधीश गांगुली स्वेच्छा से इस्तीफा दे देंगे। इस्तीफा देने से उनके इनकार करने के चलते उन्हें इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि मेरे विचार से न्यायमूर्ति गांगुली को अवश्य ही पद से हटना चाहिए। मुझे लगता है कि मुझे इस चीज ने सबसे अधिक स्तब्ध किया कि कोई व्यक्ति किसी को कोई जानकारी नहीं होने की आशा करते हुए सार्वजनिक जीवन और निजी जीवन में इतना अलग कैसे हो सकता है। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली के लिए छिपने की कोई जगह नहीं है। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वह संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। न्यायाधीश के खिलाफ कोई मामला क्यों नहीं दर्ज हो सकता? यदि नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज हो सकते हैं तो न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ क्यों नहीं? भाकपा नेता डी राजा ने जोर देकर कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली को संवैधानिक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक समझदारी और सार्वजनिक जीवन में मूल्यों को कायम रखना बेहतर होगा। गांगुली को जाना होगा। (एजेंसी)

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