पीएम का जापानी निवेशकों को न्योता, बाधा रहित व्यापार का वादा

परियोजनाओं पर शीघ्र मंजूरी के वायदे के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जापानी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया और निवेश की सहूलियत के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर एक निर्णायक-दल में जापान के दो प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रस्ताव किया। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई और रक्षा एवं बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने के साहसिक फैसलों को लागू करने के लिए कानूनी बदलाव किए जाने की भी घोषणा की।

पीएम का जापानी निवेशकों को न्योता, बाधा रहित व्यापार का वादा

टोक्यो: परियोजनाओं पर शीघ्र मंजूरी के वायदे के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जापानी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया और निवेश की सहूलियत के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर एक निर्णायक-दल में जापान के दो प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रस्ताव किया। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई और रक्षा एवं बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने के साहसिक फैसलों को लागू करने के लिए कानूनी बदलाव किए जाने की भी घोषणा की।

भारत से उच्च स्तरीय औद्योगिक शिष्टमंडल के साथ यहां आए मोदी ने विशेषतौर पर ढांचागत परियोजनाओं और स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में जापानी निवेश आमंत्रित किया। उन्होनें जापानी उद्योगपतियों और निवेशकों को खास कर बुनियादी ढांचा और स्वच्छ उर्जा के क्षेत्रों में नीति आधारित निर्णय करने का भरोसा दिया ताकि फैसलों में देरी नहीं हो। मोदी ने जापन के उद्योगमंडल निप्पन कियेदानरेन ओर भारत जापान व्यावसायिक सहयोग समिति द्वारा आयोजित बैठक में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में दर्ज 5.7 प्रतिशत की वृद्धि के आंकड़े बताते हुये कहा कि निराशा का दौर समाप्त हो चुका है। इसमें दोनों देशों के शीर्ष उद्योगपति उपस्थित थे।

उन्होंने कहा मेरी सरकार के 100 दिन के काम को देखें। इससे पहले सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5-5.4 प्रतिशत के आस-पास थी जिससे निराशा का माहौल था .. लेकिन हमारी सरकार की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। यह बड़ा उछाल है। अब नयी उम्मीद बंधी है।

दोपहर के भोज पर आयोजित उद्योगपतियों की इस बैठक में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार के कामकाज में सुधार उनकी प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एकल खिड़की मंजूरी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वह कारोबार को आसान बनाने, सरल प्रक्रियाओं, काम में तेजी और प्रौद्योगिकी उपयोग के महत्व को समझते हैं। मोदी ने कहा, मैं सरकार और उद्योग के बीच समन्वय के महत्व को अच्छी तरह समझता हूं। उन्होंने कहा कि वह गुजरात में किए गए प्रयोग को राष्ट्रीय स्तर पर दोहराना चाहते हैं।

मोदी ने कहा, मैंने जापान से आने वाले निवेश प्रस्तावों की सुविधा के लिये प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत सीधे तौर पर विशेष प्रबंधन टीम बनाने का फैसला किया है। उन्होंने इसे जापान-प्लस का नाम दिया। उन्होंने कहा, मैंने ये भी प्रस्ताव किया है कि आप जापान से दो लोगों को नामित करें जिन्हें टीम का सदस्य बनाया जायेगा, जो व्यापार प्रस्तावों पर विचार करेगी और वे स्थायी रूप से हमारी निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं। उन्होंने कहा, मेरी सरकार द्वारा पहले 100 दिन में की गई पहल का नतीजा स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। मोदी ने कहा, प्रधानमंत्री कार्यालय को और दक्ष बनाने के लिए हमने जापानी प्रबंधन प्रणाली शुरू की है। काइजेन (प्रबंधन की) प्रणाली के तहत प्रशिक्षण चल रहा है। ऐसा कम से कम प्रधानमंत्री कार्यालय में जापानी दक्षता लाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद लिए गए फैसलों में अहमदाबाद में जापानी बैंक की शाखा की स्थापना को मंजूरी और दुर्लभ खनिजों के विकास के समझौते, का जिक्र किया।

जाहिरा तौर पर अपनी पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से हालात खराब थे। उन्होंने विशेष तौर पर संप्रग सरकार की पर्यावरण मंजूरी के संबंध में अनिश्चतता भरी :गो, नो-गो: की नीति का जिक्र किया और कहा कि ऐसी नीति से किसी को भी फैसला करने में दुविधा होगी। उन्होंने कहा कि भारत में 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है जिससे सरकार पर अंजाम तक पहुंचने की ज्यादा जिम्मेदारी है क्योंकि देश की 125 करोड़ जनता जीवन स्तर में बदलाव देखना चाहती है। जापानी कंपनियों को विशेष तौर पर बुनयिादी ढांचा क्षेत्र और स्वच्छ उर्जा खंड की इकाइयों को आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री से कहा कि वे गुजरात का अनुभव ध्यान में रखें।

गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य का विकास सुनिश्चित करने के लिहाज से जापान में बेहद लोकप्रिय मोदी ने कहा कि भारत कौशल विकास को आगे बढ़ाने के मामले में अच्छी गुणवत्ता, खरापन (त्रुटिरहित सेवा, उत्पाद) और आपूर्ति प्रणाली के संबंध में जापान की नकल करना चाहता है। उन्होंने जापान और भारत के बीच निकट और गहरे सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया ताकि वैश्विक विस्तारवाद की बजाय विकासवाद की हिमायत की जा सके।

मोदी ने कहा, हमें फैसला करना है कि हम ‘विकासवाद’ चाहते हैं या ऐसा ‘विस्तारवाद’ जो विघटन की ओर जाता है। जो बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करते हैं और विकासवाद पर भरोसा करते हैं, वे विकास करते हैं। लेकिन हम देख रहे हैं जो 18वीं सदी की विचार रखते हैं वे अतिक्रमण करते हैं और दूसरे के समंदर में घुसते हैं। यह माना जा सकता है कि यह टिप्पणी को लक्ष्य कर के की गयी है जो दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में अधिकार क्षेत्र को लेकर अपने कुछ पड़ोसी देशों के साथ विवाद में उलझा है। उद्योग बिरादरी को विश्व में शांति और प्रगति के लिए ‘‘बड़ा प्रेरक बल’’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि भारत मानवता के हित की भूमिका अदा करना चाहता है।

उन्होंने यहां कहा कि उनके साथ बड़े उद्योगपतियों का एक समूह यहां आया हुआ है जो भारत की प्रगति का महत्वूपर्ण अंग है। हम भागीदार हैं। उनके साथ जो शिष्टमंडल गया है उनमें अडाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अडाणी, भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक लिमिटेड के बाबा कल्याणी, सुनील मित्तल, चंदा कोचर, किरण मजूमदार, अदि गोदरेज और सुनील मुंजाल शामिल हैं।

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