नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक लाभ की खातिर सरकार और इसके अधिकारियों द्वारा समाचार पत्रों एवं टेलीविजन में विज्ञापन देकर सार्वजनिक फंड का दुरपयोग रोकने के मकसद से दिशानिर्देश बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है।
मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि सार्वजनिक राजकोष की कीमत पर दिए जाने वाले ऐसे विज्ञापनों के नियमन के लिए मौलिक दिशानिर्देशों की आवश्यकता है और इसके लिए चार सदस्यीय एक समिति का गठन किया गया है।
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के पूर्व निदेशक एन आर माधव मेनन, पूर्व लोकसभा सचिव टी के विश्वनाथन, वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव इसके सदस्य होंगे। उच्चतम न्यायालय ने समिति को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा है। न्यायालय ने गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की जनहित याचिकाओं पर यह आदेश दिया है। इन एनजीओ ने दिशानिर्देश बनाने की अपील की थी। (एजेंसी)
सरकारी विज्ञापन
नेताओं को दर्शाने वाले सरकारी विज्ञापन संबंधी दिशानिर्देश के लिए समिति गठित
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक लाभ की खातिर सरकार और इसके अधिकारियों द्वारा समाचार पत्रों एवं टेलीविजन में विज्ञापन देकर सार्वजनिक फंड का दुरपयोग रोकने के मकसद से दिशानिर्देश बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है।
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