सुप्रीम कोर्ट के जज पर महिला वकील ने लगाया यौन शोषण का आरोप, जांच को समिति गठित

महिला वकील द्वारा एक न्यायाधीश के खिलाफ के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तीन सदस्यीय एक पीठ का गठन किया। जिस न्यायाधीश पर आरोप लगा है, वह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : महिला वकील द्वारा एक न्यायाधीश के खिलाफ के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तीन सदस्यीय एक पीठ का गठन किया। जिस न्यायाधीश पर आरोप लगा है, वह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक तीन सदस्यों वाली पीठ में न्यायाधीश आरएम लोढा, एचएल दत्तू और रंजना पी देसाई शामिल हैं। पीठ आज शाम से मामले की जांच शुरू करेगा।
इस बारे में तीन सदस्यीय पीठ घोषित करने की घोषणा प्रधान न्यायाधीश पी. सथाशिवम ने की। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ मामले की तह तक जाएगा और तथ्यों की पड़ताल करने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘संस्थान का मुखिया होने के नाते लगाए गए आरोप को लेकर मैं चिंतित हूं और यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि महिला द्वारा लगाया गया आरोप सही है अथवा गलत।’
इस महिला ने इसी साल कोलकाता की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरीडिकल साइंस से स्नातक किया है। उसने कथित यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में अपने ब्लाग में लिखा है। जर्नल ऑफ इंडियन लॉ एंड सोसायटी के लिये 6 नवंबर को लिखे गये इस ब्लाग में महिला वकील ने कहा है कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के साथ उसके इंटर्न करने के दौरान यह घटना हुयी।
ब्लॉग में लिखा गया है कि दिल्ली में उस समय यूनिवर्सिटी में मेरे अंतिम वर्ष के शीतकालीन अवकाश के दौरान मैं इंटर्न थी। मैं अपने अंतिम समेस्टर के दौरान अत्यधिक प्रतिष्ठित, हाल ही में सेवानिवृत्त हुये उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तहत काम कर रही थी। उनकी सहायता के लिये उनके पास पहुंचने के लिये मैने अथक श्रम किया और पुलिस की बाधाओं को चकमा दिया।
ब्लॉग में लिखा गया है कि मेरी कथित कर्मठता के पुरस्कार के रूप में मुझे यौन उत्पीड़न (शारीरिक नुकसान नहीं लेकिन हनन करने वाले) से एक वृद्ध व्यक्ति ने पुरस्कृत किया जो मेरे दादा की उम्र का था। मैं इस पीड़ादायक विवरण का जिक्र नहीं करूंगी लेकिन इतना जरूरी कहूंगी कि कमरे से बाहर निकलने के काफी बाद तक मेरी स्मृति में वह अनुभव रहा और वास्तव में आज भी है। कानून की इस स्नातक ने एक वेबसाइट को इंटरव्यू भी दिया है। उसका कहना है कि होटल के कमरे में न्यायाधीश ने उसका उत्पीड़न किया और इस घटना का कोई अन्य गवाह भी नहीं है।

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