सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को न्यायिक हिरासत में भेजा, 11 मार्च तक रहेंगे तिहाड़ में
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सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को न्यायिक हिरासत में भेजा, 11 मार्च तक रहेंगे तिहाड़ में

सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती करते हुए बुधवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और उनके समूह के दो निदेशकों को निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपया लौटाने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण एक सप्ताह के लिये तिहाड़ जेल भेज दिया।

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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती करते हुए बुधवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और उनके समूह के दो निदेशकों को निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपया लौटाने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण एक सप्ताह के लिये तिहाड़ जेल भेज दिया। न्यायालय ने कहा कि वे ‘विलंब करने वाले हथकंडे’ अपना रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी कंपनियों के दो निदेशकों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वे वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर्स (ओएफसीडी) द्वारा जुटाई गई राशि में से शेष 19,000 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस करने के लिए ठोस प्रस्ताव पेश करने तक हिरासत में रहेंगे। दो कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड ने ओएफसीडी के जरिए निवेशकों से यह राशि जुटाई थी। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 11 मार्च की तिथि निश्चित की है। सहारा ने दिसंबर 2012 को 5,120 करोड़ रुपये भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास जमा किए थे।
सुब्रत राय और दो निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दूबे को न्यायिक हिरासत में रखने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि समुचित अवसर दिए जाने के बाद भी निवेशकों के पैसे वापस करने के आदेश का पालन करने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं पेश किया गया। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहर की पीठ ने हालांकि तीसरी महिला निदेशक वंदना भार्गव को हिरासत से राहत दे दी, लेकिन कहा कि वह राय और दो निदेशकों से बातचीत कर एक ठोस प्रस्ताव पेश करेंगी। अदालत ने कहा कि इस देश के राष्ट्रीय हित और आर्थिक विकास के लिए विपणन की ईमानदारी की रक्षा अत्यधिक जरूरी है।
अदालत ने कहा कि सहारा का दावा है कि उसने निवेशकों का धन वापस कर दिया है, लेकिन सहारा की कंपनियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से यह गलत साबित हुआ है। तीनों को हिरासत में भेजने का आदेश देते हुए न्यायालय ने कहा कि न्यायालय की अवज्ञा करने वालों को समुचित अवसर दिए गए थे, ताकि वे आदेशों का पालन करें और अवज्ञा समाप्त कर दें, लेकिन अवसर का लाभ उठाने की अपेक्षा उन्होंने इस अदालत के आदेशों के पालन में देरी करने के लिए कई उपाय अपनाए। अदालत ने कहा कि इस अदालत के आदेश का पालन नहीं करना हमारी न्यायपालिका की बुनियाद पर हमला है, जिससे कानून का शासन का सिद्धांत कमजोर होता है, जिसकी रक्षा करने और सम्मान करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। यह न्यायपालिका में लोगों की आस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत परिसर में अफरा तफरी के बीच ग्वालियर के एक निवासी ने राय पर स्याही फेंक दी और उन्हें ‘चोर’ कहते हुए उनका चेहरा काला कर दिया। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने बेहद सख्त लहजे में उनसे कहा कि आपने हमें मजबूर किया। यदि आप गंभीर होते तो यह नौबत नहीं आती। न्यायाधीशों ने अपने आदेश में निवेशकों को धन लौटाने के सहारा समूह के दावों पर सवाल उठाये। न्यायालय ने कहा कि समूह के ये दावे तथाकथित निवेशकों के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हैं। सेबी जैसे प्राधिकरण ने भी पाया है कि उनका अस्तित्व ही नहीं है।
न्यायाधीशों ने राय और दो अन्य निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को हिरासत में भेजने का आदेश देते हुये स्पष्ट किया कि यह आदेश अवमानना के मामले में नहीं है। न्यायालय ने एक अन्य निदेशक वंदना भार्गव को महिला होने के नाते बख्श दिया। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिये 11 मार्च की तारीख निर्धारित की है। लखनउ से पुलिस हिरासत में यहां लाये गये सुब्रत राय काली स्याही से दागी हुआ चेहरा धोने के बाद खचाखच भरे न्यायालय में पेश हुये और उन्होंने हाथ जोड़कर न्यायाधीशों ने बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने संपत्ति बेचकर और बैंक गारंटी देकर सेबी के पास धन जमा कराने के लिये और समय दिए जाने का अनुरोध किया।
सफेद शर्ट और जैकेट के साथ सहारा के लोगो की टाई बांधे 65 वर्षीय सुब्रत राय ने न्यायाधीशों को संतुष्ट करने का भरसक प्रयास किया और कहा कि वह उसके सभी आदेशों का पालन करेंगे। उन्होंने धन जमा करने के लिये और समय देने का अनुरोध किया। लेकिन न्यायालय उनके साथ किसी प्रकार की नरमी बरतने के पक्ष में नहीं दिखा। न्यायाधीशों ने यह धन सेबी के पास जमा कराने के बारे में कोई ठोस प्रस्ताव पेश करने में विफल रहने के कारण राय के प्रति किसी भी प्रकार की दया दिखाने से इंकार कर दिया। एक अवसर पर राय ने कहा कि मैं आश्वासन दे रहा हूं। मैं आपको धन का भुगतान करूंगा। इस पर न्यायमूर्ति खेहड़ ने तपाक से कहा कि हमें आपसे कुछ नहीं चाहिए। राय ने तत्काल क्षमा याचना करते हुये कहा कि यह जुबान फिसल गई थी।
सुब्रत राय ने और समय का अनुरोध करते हुये कहा कि निवेशकों का धन लौटाने के लिये समूह अपनी संपत्तियों को बेचेगा। न्यायाधीशों ने राय से कहा कि आप नकद में भुगतान नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह कानून के खिलाफ है। आपको डिमान्ड ड्राफ्ट या चेक से ही भुगतान करना होगा। न्यायालय ने सहारा समूह को न्यायिक आदेशों का पालन नहीं करने और निवेशकों का धन लौटाने के मामले में परस्पर विरोधी दृष्टिकोण अपनाने के लिये भी सहारा समूह को आड़े हाथ लिया।
न्यायाधीशों ने कहा कि आपने हमें मजबूर किया। यदि आप गंभीर होते तो यह नौबत नहीं आती। न्यायालय ने राय और दो निदेशकों को हिरासत में लेने का निर्देश देते हुये कहा कि वह तो अपने आदेश पर अमल कर रहा है। इससे पहले, दिन में सुब्रत राय उत्तर प्रदेश पुलिस की गाड़ियों के काफिले में से एक कार से बाहर निकलते ही मनोज शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने उनके चेहरे पर बोतल से स्याही फेंक दी ओर फिर चिल्लाने लगा ‘सहारा चोर है।’ इस व्यक्ति की वहां एकत्र वकीलों और दूसरे लोगों ने पिटाई की। बाद में उसे पुलिस तिलक मार्ग थाने ले गई। मनोज शर्मा के बारे में कहते हैं कि पहले भी उसने कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी को अदालत में पेश किये जाते वक्त उन पर जूता फेंका था। शर्मा ने स्याही फेंकने के बाद अपनी शर्त उतारी और चिल्लाने लगा, वह (राय) चोर है। उसने लोगों का धन चुराया है और मैं चोरों के खिलाफ हूं। सुब्रत राय 28 फरवरी से उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में थे। प्रदेश पुलिस के सुरक्षाकर्मियों ने अपने और सहारा प्रमुख के लिये प्रवेश पास हासिल किये ताकि दो बजे उन्हें न्यायालय में पेश किया जा सके।
इससे पहले, न्यायालय ने राय की अनुपस्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए उनकी गिरफ्तारी के लिये गैर जमानती वारंट जारी करते हुये उन्हें आज दो बजे पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद सुब्रत राय ने गैर जमानती वारंट वापस कराने का असफल प्रयास लेकिन न्यायालय ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया था। न्यायालय ने सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों का 20 हजार करोड रूपया लौटाने में विफल रहने के मामले को लेकर शुरू की गयी अवमानना की कार्यवाही में राय के पेश नहीं होने के कारण उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था।
सुब्रत राय ने अपनी 92 वर्षीय मां के खराब स्वास्थ्य के आधार पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने छूट देने का अनुरोध किया था लेकिन न्यायालय ने इसे अस्वीकार कर दिया था। सहारा प्रमुख ने अवमानना के मामले में पेश नहीं होने के लिये बिना शर्त माफी मांगते हुए 27 फरवरी को फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और गैर जमानती वारंट वापस लेने का अनुरोध किया था। लेकिन न्यायालय ने इसे भी ठुकरा दिया था। राय ने 28 फरवरी को लखनऊ में समर्पण कर दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। न्यायालय ने राय के साथ ही सहारा समूह के तीन निदेशकों को भी समन जारी किये थे।
न्यायालय ने न्यायिक आदेश के बावजूद निवेशकों का धन नहीं लौटाने के लिये 20 फरवरी को सहारा समूह को आड़े हाथ लिया था और राय के साथ ही सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेन्ट कार्प लि के निदेशकों रवि शंकर दुबे, अशोक राय चौधरी और वंदन भार्गव को समन जारी किए थे।
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