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नई दिल्ली : देश में 16वीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही आम चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनीतिक दलों की बाढ़ सी आ गई है। बड़े राजनीतिक दल भले ही इन्हें तवज्जो नहीं दे रहे हैं, पर छोटे दल और चुनाव विश्लेषक क्षेत्रीय स्तर पर इनके प्रभाव को नकार नहीं रहे हैं, खासकर ऐसे में जब आम आदमी पार्टी ने गठन के सिर्फ एक वर्ष के भीतर अपनी छाप छोड़ी है। समाजशास्त्री प्रो. इम्तियाज अहमद ने कहा कि देश में अलग तरह की राजनीति शुरू हुई है, ऐसे में छोटे राजनीतिक दलों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता जबकि एक एक वोट के लिए जद्दोजहद चल रही हो। देश ने विकास की राह पकड़ी है, मध्यम वर्ग और युवा बढ़े। क्षेत्रीय स्तर पर छोटे दल इन वर्गो के विषय को उठाते हैं। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बिजली, पानी जैसे आम लोगों के विषय को उठाकर ही अपनी पैंठ बनायी और लोकसभा चुनाव में 400 सीटों से प्रत्याशी उतार रही है।
दिल्ली में जय महाभारत पार्टी की स्थापना करने वाले आध्यात्मिक गुरू एवं दक्षिण भारत में बैकुंठधाम के संस्थापक अनंत विश्वविष्णु देव ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में उनकी पार्टी अहम योगदान करना चाहती है और आध्यात्म के मार्ग से चुनाव सुधार करना चाहती है और 160 उम्मीदवार उतारेगी। कुछ समय पहले योगगुरू रामदेव के पार्टी बनाने की खबरें आ रही थी, हालांकि अब उन्होंने भाजपा को मुद्दों के आधार पर समर्थन देने की बात कही है। भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 12 मार्च 2014 तक देश में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दल, 47 राज्य स्तरीय राजनीतिक दल और 1563 गैर पंजीकृत राजनीतिक दल हैं।
राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के संस्थापक गोपाल राय ने कहा कि पहली बार मध्यम वर्ग के युवा सड़कों पर उतर रहे हैं। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय दल इनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सड़कों पर उतरने वाले इस वर्ग के नेतृत्व की जरूरत है, ऐसे में छोटे एवं नये राजनीतिक दल इन्हें मंच प्रदान कर सकते हैं। लोकसभा और आंध्रप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेलगू फिल्मस्टार के कल्याण कुमार ने कुछ ही दिन पहले राजनीतिक पार्टी जनसेना का गठन किया है।