नेता प्रतिपक्ष पर फैसला मोदी से प्रभावित हो सकता है: कमल नाथ
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नेता प्रतिपक्ष पर फैसला मोदी से प्रभावित हो सकता है: कमल नाथ

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ ने आज कहा कि नेता प्रतिपक्ष पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का फैसला भाजपा और नरेंद्र मोदी द्वारा प्रभावित हो सकता है। उनके इस कथन से नया विवाद खड़ा हो सकता है।

नेता प्रतिपक्ष पर फैसला मोदी से प्रभावित हो सकता है: कमल नाथ

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ ने आज कहा कि नेता प्रतिपक्ष पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का फैसला भाजपा और नरेंद्र मोदी द्वारा प्रभावित हो सकता है। उनके इस कथन से नया विवाद खड़ा हो सकता है।

नाथ ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि कोई भी पार्टी 543 सदस्यीय लोकसभा में 10 फीसदी संख्या होने पर ही नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल कर सकती है। पूर्व संसदीय कार्य मंत्री के अनुसार संसदीय प्रक्रियाओं का निर्वहन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष आम तौर पर तटस्थ होता है, लेकिन विवादास्पद स्थिति में यह अलग हो सकता है।

नाथ ने एक अंग्रेजी सामाचार चैनल के इंटरव्यू में कहा, हम जानते हैं कि लोकसभा अध्यक्ष भाजपा से हैं..लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति एक राजनीतिक दल द्वारा की जाती है..जब विवादास्पद स्थिति है.. तो यह (नेता प्रतिपक्ष पर फैसला) भाजपा और मोदी से प्रभावित (फ्लेवर्ड) होगी। उनसे सवाल किया गया था कि वह नेता प्रतिपक्ष के मामले में सरकार की मंशा पर सवाल खड़े क्यों कर रहे हैं जब फैसला लोकसभा अध्यक्ष को लेना है।

अपने कथन को विस्तार देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके कहने का मतलब यह नहीं है कि वह (सुमित्रा) किसी की तरफ से काम कर रही हैं, परंतु हमेशा एक तरह का प्रभाव (फ्लेवर) होता है।

कमल नाथ ने कहा कि अगर लोकसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ फैसला करती हैं तो तो कोई बात नहीं और कांग्रेस के लिए उचित है कि वह अदालत में जाए। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर, यह एक विकल्प होना चाहिए। इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिलने पर कांग्रेस कोई प्रतिकार और संसद में कोई प्रतिरोध पैदा नहीं करेगी क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी नहीं चाहतीं कि कांग्रेस इस मामले में प्रतिकारी हो।

नाथ ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि राहुल गांधी जिम्मेदारी लेने के अनिच्छुक हैं और उन्होंने पिछले 30 वर्षों के कई उदाहरण दिए जब सदन में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी अध्यक्ष अलग अलग व्यक्ति हुए।

पार्टी के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी की ओर से दिए गए एक हालिया बयान के संदर्भ में नाथ ने कहा कि अगर ऐसी कोई धारणा है तो कांग्रेस को उसे दुरूस्त करना चाहिए।

एंटनी ने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदायों से कांग्रेस की नजदीकी ने उसकी धर्मनिरपेक्षता को लेकर लोगों के मन में संदेह पैदा किया है।

नाथ ने कहा, अगर धर्मनिरपेक्षता के कांग्रेसी पक्ष को मुसलमानों की ओर झुकाव के तौर पर लिया गया है तो इसे सही ढंग से पेश करने की जरूरत है।..हमें खड़े होने और यह बताने की जरूरत है कि हम उस ओर झुक नहीं रहे हैं।

कमल नाथ के मुताबिक जब कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के बारे में बात करती है तो, इसको सब जानते हैं और अल्पसंख्यक इस पर भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा, शायद एंटनी जी यह कहना चाह रहे थे कि कांग्रेस के लिए धर्मनिरपेक्षता ही एकमात्र नारा नहीं हो सकता। इसके साथ ही नाथ ने आरक्षण की जोरदार पैरवी की। उन्होंने दावा किया कि सचिव और संयुक्त सचिव के स्तर की नौकरशाही में मुसलमानों की संख्या कम है तथा उनका शीर्ष शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में भी प्रतिनिधित्व कम है। उन्होंने कहा कि कि प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का एक रास्ता आरक्षण है।

राहुल की नेतृत्व संबंधी योग्यताओं के बारे में नाथ ने कहा कि राहुल नाकाम नहीं हैं और सोशल मीडिया में उन्हें पप्पू और फिडो डीडो जैसी उपमाएं दिया जाना भाजपा का कृत्य है।

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