UPSC मुद्दे पर संसद में हंगामा, स्पीकर पर अखबार फाड़ कर फेंका
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UPSC मुद्दे पर संसद में हंगामा, स्पीकर पर अखबार फाड़ कर फेंका

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट के मुद्दे के हल के लिए सरकार से जल्दी निर्णय की मांग को लेकर कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण आज राज्यसभा की बैठक भोजनावकाश से पहले कई बार बाधित हुई जबकि सरकार ने इस मुद्दे पर वर्मा कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन कर जल्दी फैसला करने का आश्वासन दिया।

UPSC मुद्दे पर संसद में हंगामा, स्पीकर पर अखबार फाड़ कर फेंका

नई दिल्ली: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट के मुद्दे के हल के लिए सरकार से जल्दी निर्णय की मांग को लेकर कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण आज राज्यसभा की बैठक भोजनावकाश से पहले कई बार बाधित हुई जबकि सरकार ने इस मुद्दे पर वर्मा कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन कर जल्दी फैसला करने का आश्वासन दिया।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कुछ अन्य सदस्यों द्वारा उनकी व्यवस्था को चुनौती देने और राजद सदस्य पप्पू यादव द्वारा आसन पर अखबार फाड़ कर फेंके जाने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए शुक्रवार को कहा कि वे चाहें तो नया स्पीकर चुन सकते हैं।

महाराष्ट्र के पुणे में भू स्खलन की घटना पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद उस पर चर्चा कराने की कांग्रेस की मांग को ठुकराते हुए महाजन ने कहा कि इस सदन में मंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण का नियम नहीं है। लेकिन सदस्य चाहें तो वह किसी नियम के तहत इस बारे में बाद में चर्चा करा सकते हैं।

इस मुद्दे पर हंगामे के कारण उच्च सदन की बैठक को तीन बार स्थगित किया गया और प्रश्नकाल नहीं चल पाया। लोकसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा और नारेबाजी हुई और एक सदस्य ने तो अखबार फाड़ कर उसे आसन पर फेंक दिया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार यूपीएससी की परीक्षाएं देने वाले छात्रों के आंदोलन के प्रति पूरी तरह से गंभीर है। सरकार इसके हर पहलू पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित समिति ने एक दिन पहले सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान हो।

इससे पहले कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सदन के सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने पहले 18 जुलाई और फिर 25 जुलाई को सदन में एक बयान दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने 25 जुलाई के बयान में एक सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर कोई निर्णय करने को कहा था।

उन्होंने कहा कि इस दौरान केवल चार-पांच कार्यदिवस ही रहे। सरकार को वर्मा कमेटी की रिपोर्ट मिल गयी है। इस मामले में भिन्न भिन्न मत हैं। जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार इस पर गंभीरता से अध्ययन कर रही है। उसे थोड़ा समय दिया जाना चाहिए क्योंकि बिना विचार किये कोई निर्णय करना उचित नहीं होगा। इस मुद्दे पर सरकार से फौरन निर्णय लिये जाने और निश्चित समयसीमा बताने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने सरकार के बयान से असहमति जताई। साथ ही कांग्रेस, जदयू, सपा तथा वाम दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।

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