उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को एक ही स्थान पर मिलेंगी सभी सुविधाएं

यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को एक ही स्थान पर चिकित्सा सुविधा, पुलिस सहायता तथा कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए इस वर्ष के अंत तक ‘एकल संकट समाधान केंद्र’ काम करना शुरू कर देंगे।

नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को एक ही स्थान पर चिकित्सा सुविधा, पुलिस सहायता तथा कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए इस वर्ष के अंत तक ‘एकल संकट समाधान केंद्र’ काम करना शुरू कर देंगे।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में मीनाक्षी लेखी, सुप्रिया सुले, रंजीत रंजन तथा कई अन्य महिला सदस्यों के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान बताया कि निर्भया कांड के बाद महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों पर केंद्र सरकार विशेष ध्यान दे रही है और यह सचाई है कि इस घटना के बाद अपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय दंड संहिता में किए गए महत्वपूर्ण बदलावों के चलते पुलिस थानों में इस प्रकार के पंजीकृत मामलों की संख्या बढ़ी है जिन्हें पहले कम दर्ज किया जाता था।

उन्होंने साथ ही बताया कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को एक ही स्थान पर चिकित्सा, पुलिस और कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए इस वर्ष के अंत तक ‘एकल संकट सहायता केंद्र’ काम करना शुरू कर देंगे। राजनाथ सिंह ने बताया कि मंत्रालय ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित काल सुनने और जीपीएस आधारित एक एकीकृत कम्प्यूटर आधारित प्रेषण प्लेटफार्म की स्थापना की परिकल्पना की है जिससे संकट में फंसी महिलाओं की कालों पर कार्रवाई करने की दक्षता में सुधार तथा त्वरित सहायता उपलब्ध कराने में मदद मिल सकेगी।

राजनाथ सिंह ने बताया कि यह परियोजना 114 शहरों में क्रियान्वित की जानी है जिसमें दस लाख से अधिक आबादी वाले 54 नगर तथा 41 अत्याधिक अपराध वाले जिलों के मुख्यालय हैं। इस परियोजना पर 321.69 करोड़ रुपये का व्यय शामिल है। आर्थिक कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है और निर्भया कोष से कुल 320. 69 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं।

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