कई मुद्दों पर आर-पार की लड़ाई, पार्टियों में ऊहापोह

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार का मुद्दा अहम होगा। चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जहां भ्रष्टाचार के आरोपों को झेलना होगा, दूसरी तरफ राज्य की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। केंद्र सरकार पर घोटालों का आरोप लगने से उसके नेताओं पर लगे कलंक का खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। राज्य में भूमि घोटाले और अवैध खनन घोटाले अब तक जनता के बीच गूंज रहे है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार का मुद्दा अहम होगा। चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जहां भ्रष्टाचार के आरोपों को झेलना होगा, दूसरी तरफ राज्य की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। केंद्र सरकार पर घोटालों का आरोप लगने से उसके नेताओं पर लगे कलंक का खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। राज्य में भूमि घोटाले और अवैध खनन घोटाले अब तक जनता के बीच गूंज रहे है। अगर कांग्रेस राज्य में भ्रष्टाचार की बात करती है तो उसके खुद के दामन पर भी भ्रष्टाचार के छींटे उड़ रहे है।
225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 224 निर्वाचित सदस्य होते हैं और एक को एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत किया जाता है। विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए दोनों पार्टियों को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस-बीजेपी की सत्ता की राह में येदियुरप्पा राह का रोड़ा बना हुए हैं। वह कांग्रेस के लिए जीत की राह आसान करेंगे या बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल होगी यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा।

वर्ष 2004 में लगभग 50 सीटें हासिल कर जेडी-एस ने पहले तो धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए 69 सीटों वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी और अकेले 79 सीटें जीतने वाली भाजपा को `सांप्रदायिक` बताकर सत्ता से दूर रहने पर विवश कर दिया था।
वर्ष 2006 में देवेगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी ने जेडी-एस के 40 विधायकों को साथ लेकर भाजपा से गठबंधन कर सरकार बना ली थी और स्वयं मुख्यमंत्री बन गए थे लेकिन करार को दरकिनार कर बी.एस.येदियुरप्पा के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं करने के कारण उनका यह `जुगाड़` 2007 में धड़ाम हो गया था। येदियुरप्पा भी भाजपा से बगावत कर कर्नाटक जनता पार्टी (कजपा) बना चुके हैं और जगदीश शेट्टार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की राह में कांटे बोने में जुट गए हैं। येदियुरप्पा राज्य में ऐसे मौके पर चुनाव लड़ रहे है जब उन्होंने बगावत की बिगुल बजा दी है और अपनी पार्टी के साथ चुनाव तो लड़ रहे है लेकिन वह खुद भी भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे है जिससे उन्हें मुक्ति नहीं मिली है।

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