चुनाव में मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सत्ता से दूर या करीब!

देश में इस वक्त नरेंद्र मोदी की लहर की बात जोरों पर है ।

देश में इस वक्त नरेंद्र मोदी की लहर की बात जोरों पर है । रोजाना किसी की रैली हो या नहीं हो लेकिन मोदी की रैली जरूर होती है। चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस की वापसी होती है या बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को सत्ता सुख मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन चुनाव के बाद एनडीए को सरकार गठन के लिए अपने सहयोगियों का साथ चाहिए होगा जिनके बगैर सरकार बना पाना टेढी खीर होगा।
देखा जाए तो केंद्र में अगली सरकार के गठन में मायावती ,जयललिता और ममता बनर्जी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। सरकार किसी भी मोर्चे की बने, लेकिन इन तीन महिलाओं के नेतृत्व की अनदेखी करना मुमकिन नहीं होगा। भावी राजनीतिक समीकरण कुछ इस प्रकार के बनने की संभावनाएं जताई जा रही हैं जिसमें बगैर इन दलों की भूमिका के शायद ही कोई मोर्चा सरकार गठन की स्थिति में हो। लिहाजा इनकी भूमिका अहम रहनेवाली है।
इस वक्त एसपी,एआईएडीएमके और तृणमूल कांग्रेस इन तीन दलों की ताकत 48 सांसदों की है जो अगले चुनावों में बढ़ सकती है। केंद्र में एनडीए और यूपीए के बाद सरकार गठन की तीसरी संभावनाएं तीसरे मोर्चे की रहती हैं। इस बार भी ऐसे आसार हैं। लेकिन महिलाओं के नेतृत्व वाले इन तीन दलों में से दो दल जिस किसी भी मोर्चे की तरफ जाएंगे, उसके लिए सरकार बनाने की राह आसान हो सकती है। इस मोर्चे में ममता बनर्जी ही सिर्फ ऐसी हैं जो यूपीए एवं एनडीए दोनों के साथ रह चुकी हैं। बसपा ने यूपीए को बाहर से समर्थन दिया है। यह भी माना जा रहा है कि मायावती का साथ मोदी को नहीं मिल पाएगा लेकिन ममता और जया शर्तों के आधार पर उन्हें समर्थन दे सकती है।
अन्नाद्रमुक के लिए एनडीए और तीसरे मोर्चे के दरवाजे खुले हुए हैं। भले ही इन चुनावों में वामदलों के साथ उसका गठबंधन नहीं हुआ हो, लेकिन बाद में वह वामदलों की पहल पर बनने वाले किसी तीसरे मोर्चे का हिस्सा बन सकती हैं । जयललिता के साथ नरेंद्र मोदी की मित्रता है। शुरुआत में तीसरे मोर्चे के साथ खड़े होने बाद जयललिता ने अपनी ओर से संबंध तोड़कर बीजेपी को चुनाव के बाद के संभावित गठबंधन के लिए संकेत दिया है।
दूसरी तरफ ओडिशा में नवीन पटनायक एक ऐसे ही संभावित सहयोगी हो सकते हैं। गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर बीजेपी पटनायक को साथ ला सकती है। जबकि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद सीमांध्र और तेलंगाना दोनों ही राज्यों में बनने वाली सरकारों को भी विकास के लिए केंद्र सरकार की मदद चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस या फिर टीआरएस। दोनों ही बीजेपी के संभावित सहयोगी हो सकते हैं।

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