समाजवाद के सबसे बड़े चेहरों में शुमार होते हैं मुलायम सिंह यादव
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समाजवाद के सबसे बड़े चेहरों में शुमार होते हैं मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव यूपी और देश की राजनीति में एक बड़ा साख रखते हैं और उनकी सियासी रसूख का दायरा लंबा है।

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मुलायम सिंह यादव यूपी और देश की राजनीति में एक बड़ा साख रखते हैं और उनकी सियासी रसूख का दायरा लंबा है। प्रदेश की राजनीति में सबकुछ हासिल करने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की बागडोर अपने बेटे अखिलेश सिंह यादव को सौंपी और खुद को देश की राजनीति में सक्रिय कर लिया। अब मुलायम की नजर 2014 के लोकसभा चुनाव पर है।
मुलायम उन दोनों स्थितियों में बेहतर स्थिति में रहेंगे जब या तो कांग्रेस की सरकार गठन की स्थिति बनती हो या फिर तीसरा मोर्चा का गठन के रूप में केंद्र में सरकार गठन की संभावना बनती हो तो अगर उनकी यूपी की सीट अच्छी हुई तो वह खुद को प्रधानमंत्री पद की दावेदारी ठोक सकते है। हालांकि यह इतना आसान भी नही है लेकिन यह बात सबको मालूम है कि केंद्र में अगर कांग्रेस या तीसरे मोर्चे की सरकार का गठन होगा तो वह बिना मुलायम के समाजवादी पार्टी के समर्थन के बगैर शायद ही हो सके। मुलायम अल्पसंख्यकों की राजनीति भी जानते हैं और इस बार भी वोट कार्ड खेलकर वह मुस्लिम समुदाय का वोट हासिल करना चाहेंगे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तरप्रदेश के सैफई गांव में किसान परिवार में हुआ। मुलायम तीन बार उत्तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री और चन्द्रशेखर और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह की माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह था। मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 15 वर्ष की आयु में की जब उन्होंने 1954 में 15 साल की आयु महान समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और जेल गए।
मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से एमए एवं जैन इंटर कॉलेज करहल (मैनपुरी) से बीटी करने के बाद उन्होंने इंटर कॉलेन में पढ़ाने का कार्य भी किया। मुलायम सिंह यादव 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रथम बार उत्तरप्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए। इमरजेंसी मुलायम सिंह 19 माह जेल में रहे।
1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास मंत्रिमंडल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। मुलायम सिंह ने नवंबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रांतिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आंदोलन को पुनर्जीवित किया गया। मुलायम सिंह यादव तीन बार क्रमशः 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और 2003 से 2007 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता डा0 राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर `नहर रेट आन्दोलन` में भाग लिया और पहली बार जेल गए। वर्ष 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये । मुलायम पुनः वर्ष 1974, 77, 85, 89, 91, 93, 1996 और 2004 तथा 2007 में दस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये ।
मुलायम तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे- वर्ष 1989 से 1991 तक, वर्ष 1993 से 1995 तक और वर्ष 2003 से 2007 तक । वर्ष 1982 से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। साथ ही मुलायम वर्ष 1985 से 1987 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे। पुनः 14 मई 2007 से 26 मई 2009 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे।
मुलायम सिंह यादव वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के सदस्य चुने गये । प्रधानमंत्री श्री एचडी देवेगौड़ा और श्री इन्द्र कुमार गुजराल की सरकारों में 1996 से 1998 तक भारत के रक्षामंत्री का पदभार सम्भाला। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में 4 और 5 नवम्बर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गयी। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रान्तिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आन्दोलन को पुनर्जीवित किया गया।

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